बुल्ली बाई ऐप को लेकर बीते दिन मशहूर गीतकार व लेखक जावेद अख्तर ने ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को आड़े हाथों लेते हुए लिखा था कि क्या यही सबका साथ और सबका विकास है। अपने इस ट्वीट को लेकर जावेद अख्तर लोगों के निशाने पर आ गए थे। कई सोशल मीडिया यूजर ने उन्हें ट्रोल करना भी शुरू कर दिया था। इस बात को लेकर मशहूर लेखक ने ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्होंने महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के खिलाफ आवाज उठाई तो लोग उनके परदादा को गालियां देने लगे।

जावेद अख्तर ने अपने ट्वीट में गोडसे का भी जिक्र किया। उन्होंने लिखा, “जिस पल मैंने महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के खिलाफ आवाज उठाई, गोडसे का महिमामंडन करने वालों और जवानों, पुलिस व लोगों को नरसंहार करने की सलाह देने वालों ने मेरे परदादा को अपशब्द कहना शुरू कर दिया, जो कि स्वतंत्रता सेनानी थे और 1864 में काला पानी में उनकी मौत हो गई थी।”

जावेद अख्तर यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “ऐसे मूर्खों को क्या ही कहा जा सकता है?” उनके इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर ने भी खूब कमेंट किये। जहां एक पक्ष ने उन्हें ऐसे लोगों को नजरअंदाज करने की सलाह दी तो वहीं दूसरे पक्ष ने उनसे सवाल-जवाब करने शुरू कर दिये।

जावेद अख्तर के ट्वीट का जवाब देते हुए प्रवीन कादिर नाम की यूजर ने लिखा, “ऐसे लोगों को नजर अंदाज करें और उन्हें ब्लॉक करें।” एक यूजर ने जावेद अख्तर को सलाह देते हुए लिखा, “सर ऐसे लोगों को नजर अदाज करें, क्योंकि यहां पर इससे भी बड़ी समस्याएं मौजूद हैं। धर्म संसद, नफरत भरे भाषण और डील साइट्स जैसी चीजों के लिए प्रेशर कूकर जैसी स्थिति बनाई जा रही है, जिसका नतीजा दंगे व नरसंहार होगा।”

दूसरी ओर अंजू साहा नाम की यूजर ने जावेद अख्तर से सवाल करते हुए लिखा, “तो आपको उन लोगों का रिकॉर्ड कहां से मिला, जो 1864 के काला पानी में मारे गए थे? मैंने यह जानना चाहूंगी, क्योंकि मेरे पति के परदादा और दादी दोनों ही 1857 में कालापानी गए थे, लेकिन हमें अब तक उसका रिकॉर्ड नहीं मिला।” राहुल नाम की यूजर ने लिखा, “वो आपके परदादा थे, लेकिन वो महान तो बिल्कुल भी नहीं थे।”