एक्टर दिब्येंदु भट्टाचार्य इन दिनों वेब सीरीज ‘पोचर’ में नजर आ रहे हैं। उन्होंने सांवले एक्टर्स को लेकर बात की है। उनका कहना है कि इंडस्ट्री में सांवले एक्टर्स के साथ भेदभाव होता है। दिब्येन्दु का कहना है वह लगन से काम करते हैं लेकिन इस बात से पूरी तरह वाकिफ हैं कि वह कभी भी 500 करोड़ रुपये की फिल्म में अभिनय नहीं करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि वह ऐसी फिल्मों में अभिनय करने की इच्छा नहीं रखते हैं।

यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में दिब्येन्दु ने कहा,”मुझे जो भी काम मिलता है मैं करता हूं, मेरा 500 करोड़ की फिल्म में काम करने का सपना नहीं है। मुझे उस तरह के काम ऑफर नहीं होते। लेकिन जो भी मुझे मिलता है, मैं पूरे मन और लगन से करता हूं।” दिब्येन्दु के मुताबिक सांवले रंग वाले एक्टर्स को कभी पॉजिटिल रोल नहीं मिलता।

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की तुलना हॉलीवुड से करते हुए दिब्येन्दु ने कहा कि वेस्टर्न देशों ने रेसिज्म को अपना लिया है और हॉलीवुड में लोग अपने रेसिस्ट पास्ट को लेकर शर्म महसूस करते हैं। लेकिन भारतीय बहुत तेजी से रेसिस्ट होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा,”मुझे लगता है कि भारतीय बहुत रेसिस्ट हो गए हैं। भारत के बाहर रेसिज्म बहुत साफ है लेकिन वे इससे बाहर निकलना चाहते हैं। वे अपने रेसिज्म से शर्मिंदा हैं। यह एक ग्लोबल मुद्दा है।”

इसके बाद दिब्येंदु ने सांवली त्वचा वाले अभिनेताओं को कास्ट करने के रवैये को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि एक बार टीवी पर एक शो देखा था जिसमें भगवान कृष्ण की भूमिका एक गोरी त्वचा वाले अभिनेता ने निभाई थी।  “मैं एक बार टीवी पर ‘श्री कृष्णा’ शो देख रहा था और उन्होंने एक गोरी त्वचा वाले व्यक्ति को कृष्ण बनाया था और मुझे लगा कि यह उनकी कला है कि उन्होंने कृष्ण को गोरा बना दिया।”

दिब्येंदु ने कहा, “ये कल्चर हमें कभी नहीं छोड़ने वाला है। स्वदेस में एक बहुत अच्छा डायलॉग था, ‘जो कभी नहीं जाती, उसे कहते हैं जाती’। ये चीजें हमें कभी नहीं छोड़ेंगी।” दिब्येंदु ने ‘देव डी’, ‘द रेलवे मैन’, ‘जामताड़ा’ और ‘रॉकेट बॉयज’ समेत कई फिल्मों में काम किया है।