बकरीद यानी कि ईद उल-अजहा का त्यौहार 7 जून को मनाया जाएगा। हर साल इस त्यौहार पर विवादों का दौर शुरू हो जाता है। कई लोगों को बकरीद पर जानवरों की हत्या पर आपत्ति होती है और बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान का भी कुछ ऐसा ही रुख था।

‘कुर्बानी’ का नाम सुनते ही हमारे ज़हन में बकरे की बलि और ईद के त्यौहार का ख्याल आता है, किन 2016 में अभिनेता इरफ़ान खान ने इस पारंपरिक सोच पर सवाल उठाया था, उन्होंने कहा कि “कुर्बानी का मतलब केवल जानवर काटना नहीं है।”

उनके इस बयान की काफी चर्चा हुई थी, कुछ लोगों ने उनका सपोर्ट किया और बहुत से लोग ऐसे थे जिन्होंने इस बात का विरोध किया। लेकिन इरफ़ान खान ने धार्मिक परंपराओं के पीछे छिपे असली भाव की बात की थी। वो त्यौहार ना मनाने की बात नहीं कहते थे बल्कि उसे सही तरीके से मनाने की बात कहा करते थे।

‘चैन से जीने नहीं दूंगी’: निधन के बाद नरगिस ने सपने में आकर दी थी सुनील दत्त को वॉर्निंग, कब्रिस्तान में बिताने लगे थे रातें

जयपुर में हुए एक प्रमोशन इवेंट के दौरान इरफ़ान ने कहा था: “कुर्बानी का मतलब बाजार से बकरा खरीदना और काट देना नहीं है। कुर्बानी का मतलब है अपनी सबसे प्यारी चीज़ का त्याग करना।” इरफान ने कहा था कि किसी और जानवर का कत्ल कर देने से हमें पुण्य कैसे मिलेगा ये सोचने वाली बात है। ये कॉमन सेंस है।

उन्होंने ये भी कहा कि हम त्यौहारों को एक रूटीन की तरह मनाने लगे हैं लेकिन इसका असली मकसद भूल गए हैं, जो है आत्म शुद्धि और अंदर की निगेटिविटी खत्म करना।

इरफ़ान खान ने कहा कि लोग त्यौहारों की आत्मा को भूल गए हैं, जैसे रमज़ान का रोज़ा सिर्फ भूखे रहने का त्यौहार नहीं है बल्कि खुद से जुड़ने और संयम साधने का माध्यम है। उन्होंने यह भी कहा: “हर धर्म को आत्मनिरीक्षण की ज़रूरत है। सोचिए कि ये रीति-रिवाज़ क्यों बनाए गए थे और आज इनका क्या मतलब है?”

‘विराट-अनुष्का तो नाम भी नहीं लेते’, भाई-भाभी को लेकर उठे सवाल तो एक्ट्रेस की ननद ने दिया करारा जवाब

इरफ़ान खान के इस बयान पर कई धर्मगुरुओं और संगठनों ने आपत्ति जताई। कई लोगों ने कहा कि वो धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं। लेकिन इरफान ने कहा कि उनका मकसद किसी धर्म या भावना को ठोस पहुंचाना नहीं है बल्कि विचारशील बहस को जन्म देना है।

इरफान ने कहा था- “मैंने कुछ नया नहीं कहा, बस वही बात याद दिलाई जो धर्म की आत्मा है।”

इरफ़ान खान ने हमें पूरी जिंदगी ये सिखाया की कुर्बानी बाहरी नहीं बल्कि भीतर से होती है।