फिल्ममेकर मंसूर खान, बॉलीवुड एक्टर आमिर खान के चचेरे भाई है। दोनों ने लगभग एक साथ अपना करियर शुरू किया था। एक इंटरव्यू में मंसूर ने अपनी पहली फिल्म ‘कयामत से कयामत’ और इसके बाद आई ‘जो जीता वो ही सिकंदर’ की सफलता को लेकर बात की। उनका कहना है कि इससे आमिर खान का करियर शुरू होने से पहले ही बर्बाद हो सकता था।
इंडिया नाऊ और हाऊ यूट्यूब चैनल के साथ बातचीत में मंसूर ने कहा कि ‘कयामत से कयामत तक’ बनाने से पहले उनके मन में स्पोर्ट्स ड्रामा का विचार आया था, जिसका कॉन्सेप्ट उनके पिता नासिर हुसैन का था। मंसूर ने कहा, “मैंने एक कहानी लिखना शुरू किया, जो आखिर में ‘जो जीता वही सिकंदर’ बन गई… डैडी आमिर को लॉन्च करने के लिए ‘कयामत से कयामत तक’ लिख रहे थे। हमने 1986 में शुरू किया था और फिल्म 1988 में रिलीज हुई थी। मैं एक स्लो फिल्ममेकर हूं, लेकिन बात ये है कि ‘जो जीता वो ही सिकंदर’ के लिए मेरे दिमाग में आमिर ह था। वो उस समय 19 या 20 साल का था। अच्छा हुआ मैंने वो फिल्म नहीं बनाई, मैं आमिर का करियर बर्बाद कर देता।”
मंसूर ने बताया कि वो स्क्रिप्ट से खुश नहीं थे, इसलिए वो इस बात से सहमत हो गए कि उनके पिता ‘कयामत से कयामत तक’ को डायरेक्ट करें। मंसूर ने कहा, “मैंने उनसे पूछा, फिल्म किस बारे में है?” उन्होंने कहा, “ये एक लव स्टोरी है।” इसके बाद मंसूर ने अपने पिता से कहा, “हर हिंदी फिल्म एक लव स्टोरी ही होती है।” मंसूर ने कहा कि वो इस बात से नाखुश थे कि फिल्म कैसी बनी, और उन्होंने ट्रायल शो में अपनी राय बताई थी।
मंसूर ने कहा, “मैं पहले ट्रायल के बाद बहुत दुखी था, मैं अपने पिता से कह रहा था कि हमें सीन दोबारा शूट करने होंगे, ये बहुत ही खराब हैं और मेरे पिता पूरे कॉन्फिडेंस के साथ चल रहे हैं और मैं उनके पीछे-पीछे ये कहता हुआ भाग रहा हूं कि ये खराब है वो खराब है। वो मुझे सुन भी नहीं रहे थे, क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि फिल्म अच्छी होने वाली है। लेकिन आज भी मुझे आज भी लगता है कि उन सीन को अलग तरीके से शूट किया जाना चाहिए था, बहुत ही थोड़ा सा पार्ट…”
‘कयामत से कयामत तक’ के बाद मंसूर को लगा था कि वो ‘जो जीता वही सिकंदर’ को गलत डायरेक्शन में ले जा रहे थे। फिर उन्होंने दोबारा से फिल्म की स्क्रिप्ट दोबारा लिखी थी। “मेरे पिता को दर्शकों की नब्ज पता लग गई थी, लेकिन मुझे कोई आइडिया नहीं था। मैं एक फिल्मी इंसान नहीं था, मैं गेयटी गैलेक्सी नहीं जाता था, मुझे पता लगा कि लोगों ने उन सीन को भी पसंद किया जो मुझे नापसंद थे। इसलिए मैंने दोबारा सोचा और ‘जो जीता…’ को दोबारा लिखा।”
बता दें कि मंसूर अब बहुत कम फिल्मों पर काम करते हैं, वह तमिलनाडु में रहते हैं और वहां खेती करते हैं। आमिर जब उन्हें कहते हैं तो वो फिल्मों पर काम करते हैं। जुनैद खान की आने वाली फिल्म पर भी उन्होंने काम किया है। गौरतलब है कि ‘कयामत से कयामत तक’ के दौरान आमिर खान और जूही चावला की गाड़ी पर लोगों ने पथराव कर दिया था। उस वक्त दोनों बड़ी मुश्किल से उस मुसीबत से बाहर निकले थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…