अभिषेक बच्चन वैसे तो इस साल ‘हाउसफुल 5’ में भी नजर आए थे, लेकिन इस वक्त वो ‘कालीधर लापता’ फिल्म को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म में उन्होंने एक 40 साल के आदमी का किरदार निभाया है, जो परिवार का ख्याल रखते-रखते अपना घर बसाना भूल जाता है। फिर मुश्लिक वक्त में उनकी दोस्ती एक बच्चे से होती है और उसकी लाइफ बदल जाती है। ये फिल्म 4 जुलाई को Zee5 पर रिलीज हुई और अभिषेक बच्चन के साथ एक बच्चे की दोस्ती को काफी पसंद किया जा रहा है।

ऐसा पहली बार नहीं है कि जूनियर बच्चन ने कोई ऐसी फिल्म की हो। पिछले कुछ महीनों में ये उनकी तीसरी फिल्म है, जिसमें वो चाइल्ड आर्टिस्ट के साथ नजर आ रहे है। सभी फिल्मों में बच्चे के साथ उनके बॉन्ड को खूब सराहा गया, लेकिन फैंस को ऐसा भी लग रहा है कि ये अभिषेक बच्चन का पैटर्न बन गया है। उनकी तीनों फिल्में बच्चों के साथ और तीनों ही बच्चों के साथ।

अभिषेक बच्चन असल जिंदगी में भी एक पिता हैं। साल 2011 में वो और ऐश्वर्या राय बेटी आराध्या के पेरेंट्स बने थे। अभिषेक की फिल्मों में उनका पिता वाला प्यार साफ नजर आ रहा है। उनकी फिल्मों से एक संदेश ये भी मिल रहा है कि इस समाज में केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि एक आदमी भी बच्चों को पालने में सक्षम है।

अभिषेक ने जूम के साथ एक इंटरव्यू में इस संभावित कारण के बारे में भी बात की थी। उन्होंने कहा था, “जब से आराध्या का जन्म हुआ है, तब से मेरी बहुत सी फिल्में उसके इर्द-गिर्द घूमती हैं। इसलिए अगर आप देखें, तो ‘ब्रीद’, चाहे वो ‘लूडो’ हो, ‘बॉब बिस्वास’ हो, ‘आई वांट टू टॉक’ हो, ‘बी हैप्पी’ हो या ‘कालीधर लापता’ हो, सभी में एक बच्चे की थीम बार-बार आती है। और मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि मैं आज एक पिता हूं, इसलिए शायद वो भावना मेरे साथ होती है। या हो सकता है कि उस समय वो रिश्ता शायद उतना ही गहरा महसूस हो। मैं वहां एक चीज कॉमन देखता हूं। मुझे इतना यकीन नहीं है, लेकिन मुझे लगा कि शायद ये जीवन का वो दौर है जिससे मैं गुजर रहा हूं।”

अभिषेक बच्चन की फिल्में

अभिषेक बच्चन ने ‘रिफ्यूजी’ (2000) से करियर की शुरुआत की थी, इसके बाद वो ‘एलओसी कारगिल’ (2003) और ‘ज़मीन’ (2003) में नजर आए। ये उनके करियर की शुरुआती फिल्में थीं। इसके बाद ‘दिल्ली-6’ (2009), ‘पा’ (2009) और ‘दोस्ताना’ (2008) में काम करने के बाद, उनके करियर में एक ठहराव आ गया था। एक ब्रेक के बाद, अभिषेक ने जीवन के पहलुओं पर आधारित फिल्में और असरदार किरदार चुने। वो अब जानबूझकर हीरो वाले रोल से दूर रह रहे हैं।