बॉलीवुड के जाने माने फिल्म निर्माता करण जौहर को उनकी सेक्सुएलिटी को पसंद को लेकर कई बार ट्रोल किया जाता है। वह कई मौकों पर बता चुके हैं कि बचपन से वो अपने शरीर को लेकर काफी शर्मिंदा महसूस किया करते थे। एक वक्त ऐसा था जब खाना उन्हें अपना कंफर्ट लगने लगा था। हाल ही में पॉडटॉक के साथ बातचीत में करण जौहर ने अपने बचपन के उस वक्त को याद किया, जब उन्हें अपनी सेक्सुएलिटी का एहसास हुआ था।

करण ने बताया कि एक दौर था जब उन्हें ये एहसास होने लगा था। उन्होंने कहा, “जब आप अपने आप को समझने लगते हो, मुझे काफी पहले ही ये एहसास हो गया था। मुझे लगा कि मैं दूसरे लड़कों की तरह नहीं हूं। मैं उन जैसा नहीं हूं। वो जो कहना चाहते हैं, वो जो करना चाहते हैं, जिस गेम या स्पोर्ट्स में वो इंटरेस्टेड हैं या उनकी बातचीत जो भी हो, उनकी फितरत में जो भी हो, उनकी पर्सनालिटी जो भी हो, मैं उनके जैसा नहीं हूं। ये एहसास मुझे तब हो गया था।”

करण ने आगे कहा, “जो वजन मैंने बढ़ाया था, 7 से 9 साल की उम्र में, फिर मैं एक ऐसी जोन में चला गया था। मुझे लगने लगा था कि कंफर्ट मुझे सिर्फ खाने में मिलेगा, चॉकलेट में मिलेगा, डिजर्ट में मिलेगा, वो कंफर्ट जो मैं कहीं और ढूंढ रहा था और मुझे नहीं मिल रहा था मुझे वहां मिल गया था। मैं खुद से ही लड़ रहा था, मुझे लग रहा था कि मैं अलग क्यों हूं, मैं दूसरे लड़कों के जैसा क्यों नहीं हूं। बहुत सालों के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं नहीं हूं, जो मैं नहीं हूं उससे मुझे खुश रहना है, उसे अपनाना है और उसे ही अपनी ताकत बनाना है। मुझे उस पर शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है कि मैं क्या हूं।”

मोटापे और ट्रोलिंग पर करण ने कहा कि जब वो कॉलेज में ढीले कपड़े पहनते थे तो लोग उन्हें छेड़ा करते थे और ये बात उन्हें परेशान किया करती थी। करण ने बताया कि उनके लिए एक शब्द इस्तेमाल किया जाता था पेंजी (नपुंसक के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द)। करण ने कहा कि ये शब्द उन्हें बहुत परेशान किया करता था। उन्हें वजन पर होने वाली ट्रोलिंग से उतना फर्क नहीं पड़ता था, जितना इस शब्द से पड़ता था और इससे उन्हें अपने वजूद पर शक होने लगा था।

फेय डिसूजा शो भी करण ने इस मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने बताया था कि वो शर्मीले और खुद में ही रहने वाले बच्चे थे। जो सिर्फ किताबों और फिल्मों में खोए रहते थे। उन्होंने बताया था कि वो भारी मन से स्कूल जाते थे।