कैटरीना कैफ की अगले महीने होने वाली शादी की खूब चर्चा है। वे किस डिजाइनर के परिधान पहनेंगी, कहां शादी होगी आदि पर खूब लिखा जा रहा है। इन खबरों के बीच कहीं भी इस आशय की कोई खबर पढ़ने, सुनने को नहीं मिल रही है कि कैटरीना की शादी के कारण फलां-फलां फिल्म की शूटिंग लटक गई और इतने निर्माता तारीखों के लिए परेशान हैं। कैटरीना ने शादी की योजना इस तरह बनाई है ताकि उनकी निर्माणाधीन फिल्म ‘टाइगर 3’ की शूटिंग में किसी तरह का व्यवधान न आए।

एक समय था जब चोटी के हीरो या हीरोइन की शादी होती थी, तो निर्माता-निर्देशकों का रक्तचाप बढ़ जाता था कि अब पता नहीं कब उनकी फिल्मों की शूटिंग के लिए तारीखें मिल पाएंगी। वजह यह होती थी कि हीरो या हीरोइन एक वक्त में आठ-आठ, दस-दस फिल्मों में काम कर रहे होते थे। अचानक शादी का निर्णय ले लेते थे और निर्माता-निर्देशक ऊपर से खुश अंदर से दुखी हो जाते थे। इस लिहाज से बालीवुड में कलाकारों की वर्तमान पीढ़ी खासी प्रोफेशनल है। कलाकार अपने कैरियर के साथ शादी और दूसरे महत्वपूर्ण काम की योजना इस तरह से बना रहे हैं कि उनके निर्माताओं का कम से कम नुकसान हो।

हो सकता है कि इसकी वजह यह हो कि ज्यादातर कलाकार खुद निर्माता हैं इसलिए निर्माताओं की तकलीफ जानते हैं। मसलन दीपिका पाडुकोन को ही ले लीजिए। नवंबर 2018 में जब उन्होंने इटली में कोंकणी और सिंधी रीतिरिवाजों के साथ शादी की, तब एक भी निर्माता को उनकी तारीखों के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा था। वह विश्वकप क्रिकेट पर बनने वाली जिस ‘83’ में काम कर रही थीं, उसकी निर्माता भी खुद ही थीं। उन्होंने ढेर सारी फिल्में साइन नहीं कर रखी थीं।

यहां तक कि अपनी शादी के दौरान आधा दर्जन फिल्में करने वाली करीना कपूर तक ने 2012 में अपनी शादी इस तरह से प्लान की थी कि कम से कम निर्माताओं को परेशानी हुई। अपने निर्माताओं की मुश्किलों को समझने वाली वर्तमान पीढ़ी अपनी पूर्व पीढ़ियों से कहीं ज्यादा परिपक्व और पेशेवर रवैया रखने वाली नजर आती है। वरना तो बालीवुड का इतिहास हमें बताता है कि फिल्म निर्माताओं को एक नहीं दो-दो बार उन फिल्म कलाकारों पर सीलिंग लगानी पड़ी थी, जो एक वक्त में 12 से ज्यादा फिल्मों में काम कर रहे थे।

एक फिल्म बनने के दौरान निर्माता को कई मुश्किलों से गुजरना होता है। वह चाहता है कि समय पर उसकी फिल्म बनकर तैयार हो जाए। कलाकार कोई ऐसा काम न करें, जिसकी उसकी फिल्म की शूटिंग लटक जाए। यही कारण है कि फिल्म निर्माण में अनुबंध का चलन शुरू हुआ, जिसमें शर्तों का साफ-साफ उल्लेख होता है। निर्माता इस बात पर जोर देने लगे कि अनुबंध में इस बात को भी शामिल किया जाए कि जब तक उसकी फिल्म पूरी नहीं हो जाती, तब तक हीरोइन न तो शादी कर सकती है, न मां बन सकती है। बालीवुड के अनुबंधों में शादी करने और मां बनने की मनाही की शर्त होती है या नहीं, पता नहीं। मगर फिल्म बनाने वाली कंपनियां करोड़ों रुपए लगाती हैं इसलिए एहतियात बरतती हैं कि उनकी फिल्मों की शूटिंग समय पर खत्म हो।

आमतौर पर दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री अनुशासन के मामलों में मिसाल मानी जाती है। बालीवुड में हीरो या हीरोइन की लेट लतीफी, गैरव्यावसायिकता या नखरों के खूब किस्से पढ़े सुने जाते रहे हैं। विनोद खन्ना ने अतिव्यस्तता के दौर में फिल्मों से संन्यास की घोषणा कर दी थी। उनके निर्माताओं को महीनों उनका इंतजार करना पड़ा था।