साल 1975, फ़िल्म शोले! वो क्लासिक फ़िल्म, जिसने कई मुक़ाम हासिल किए। जितनी चर्चा दुनिया में इस फ़िल्म की, उतनी ही ख़बरें और कहानियां पर्दे के पीछे इस फ़िल्म से जुड़ीं…किस्से प्यार-मोहब्बत के… दिल टूटने के… और दिल जुड़ने के भी…।

इसी फ़िल्म की शूटिंग से सुर्खियों में आया एक ऐसा किस्सा… जो ना तो कभी किसी ने देखा था… ना ही किसी ने सुना था। दरअसल संजीव कुमार… जो ठाकुर का किरदार निभा रहे थे… हेमा मालिनी को अपना दिल दे बैठे थे। लेकिन ये हुआ कब… संजीव कुमार को इतनी मोहब्बत हुई कैसे… और क्यों वो हेमा मालिनी के इतने दीवाने हो गए… कि उन्होंने अपनी दिल की बात कहने के लिए एक दोस्त का सहारा लेना पड़ा…

संजीव कुमार और हेमा मालिनी की पहली फ़िल्म थी ‘पराया धन’। उसके बाद सीता और गीता आई थी। तब संजीव कुमार की उम्र 33-34 साल थी। वह इंडस्ट्री के एलिजिबल बैचलर थे। उनके पीछे कई लड़कियां दीवानी थीं। पर वह हेेेेमा के पीछे दीवाने थे। लेकिन हेमा मालिनी तो किसी और (धर्मेंद्र) की ड्रीमगर्ल थीं। धर्मेंद्र भले ही शादीशुदा थे… लेकिन इन दोनों के रोमांस पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ा। मगर संजीव कुमार पर इसका काफी असर पड़ रहा था, क्‍योंक‍ि वह हेमा मालिनी को दिल से चाहते थे और उनके साथ शादी करना चाहते थे।

जब फ़िल्म शोले की शूटिंग शुरु हुई तो संजीव कुमार ने मौक़ा देखकर हेमा मालिनी से अपने दिल की बात कह डाली। लेकिन हेमा ने संजीव कुमार के इस प्रस्ताव को पूरी तरह रिजेक्ट कर दिया। संजीव कुमार न‍िराश नहीं हुए। कोशिश करते रहे। उन्होंने अपने करीबी दोस्त जीतेंद्र को हेमा मालिनी के पास भेजा। वह चाहते थे कि जीतेंद्र उनके दिल की बात हेमा को बताएं।

हेमा लगातार संजीव कुमार के प्यार को ठुकराती रहीं और जीतेंद्र को साफ़ कह द‍िया- मैं उन्‍हें पसंद करती हूं… पर प्यार नहीं। अब संजीव कुमार हताश-‍न‍िराश हो चुके थे। इतने क‍ि उन्‍होंने फ़िल्म शोले के डायरेक्टर रमेश सिप्पी को साफ़ कह द‍िया क‍ि हेमा मालिनी के साथ उनका कोई सीन ना रखें… और अगर सीन है… तो शूटिंग एक साथ ना हो।