आदित्य नारायण ने पांच साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। गायक उदित नारायण के बेटे होने के नाते आदित्य को बचपन से ही संगीत से बहुत लगाव था। जल्द ही उन्हें गायक और अभिनेता के रूप में कई प्रोजेक्ट भी मिलने लगे। 1998 में सलमान खान के साथ फिल्म ‘जब प्यार किसी से होता है’ में काम करने के बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ी, जिसके लिए उन्हें 3.5 लाख रुपये मिले थे। उन्होंने इस पैसे से अपनी पढ़ाई पूरी की, जब तक कि वे आगे की पढ़ाई के लिए लंदन नहीं चले गए।

भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया के यूट्यूब चैनल, भारती टीवी पर हाल ही में हुई बातचीत में आदित्य ने अपने पिता के साथ अपने रिश्ते के बारे में खुलकर बात की, जिन्हें पता ही नहीं चला कि आदित्य ने कब 12वीं कर ली। लंदन में अपनी पढ़ाई का ज़िक्र करते हुए, आदित्य ने कहा, “ये मेरे जीवन में पहली बार था जब मेरे डैड ने मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया।” उन्होंने आगे कहा, “उस समय तक स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई काफी सस्ती थी, और चूंकि मैं कमाता था, इसलिए मैं खुद ही खर्च चलाता था। मुझे याद है कि मैंने पूरे एक साल की पढ़ाई के लिए सिर्फ 1,800 रुपये दिए थे। मेरे डैड को तो पता ही नहीं था कि मैंने 12वीं कर ली है।”

आदित्य ने याद किया कि एक दिन उनके डैड ने यूं ही उनसे उनकी पढ़ाई के बारे में पूछा और ये जानकर दंग रह गए कि उन्होंने 12वीं कर ली है। उन्होंने बताया, “वो हैरान रह गए और पूछा कि मैंने कैसे पढ़ाई पूरी की। मैंने उन्हें बताया कि मुझे अपने सिंगिंग टैलेंट के कारण कलचरल कोटे के जरिए एडमिशन मिल गया है।” उन्होंने आगे बताया कि वो आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जाना चाहते थे और इसके लिए उन्हें अपने पिता की आर्थिक मदद की जरूरत थी। उन्होंने कहा, “उन दिनों भी वहां रहने का हर महीने का खर्च लगभग 800 पाउंड था। ये बहुत ज्यादा था और मैं इसे नहीं उठा सकता था, इसलिए मैंने आखिरकार अपने पिता से आर्थिक मदद मांगी।”

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पिता के साथ कैसा है रिश्ता?

इसी बातचीत में, आदित्य ने अपने पिता के साथ अपने रिश्ते के बारे में भी बात की और उन्हें एक “स्ट्रिक्ट लेकिन प्यार करने वाले” माता-पिता बताया। उन्होंने बताया कि उनके पिता उन्हें मारते थे। उन्होंने कहा, “मेरे डैड ने मुझे 18 साल की उम्र तक अनुशासन का पूरा पाठ पढ़ाया। वे मुझे मारते थे। मुझे बहुत पीटा जाता था। लेकिन उस समय, ये लगभग सामान्य बात थी। दोस्तों के बीच, हम तुलना भी करते थे कि किसे सबसे ज्यादा मारा जाता है। मेरे डैड ने संतुलन बनाए रखा, वे मुझे प्यार करते थे, लेकिन साथ ही मुझे अनुशासित भी रखते थे। वे बहुत सख्त थे। अब समय बदल गया है। आज, आप अपने बच्चों पर हाथ नहीं उठा सकते।”

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आदित्य ने ये भी बताया कि कैसे उनके पिता उन दिनों बहुत काम करते थे और उनके साथ बहुत कम समय बिताते थे। “डैड हर महीने मेरे साथ सिर्फ तीन-चार दिन ही बिता पाते थे। इसलिए, उन्हें लगता था कि उन्हें ज्यादा समय देना होगा। वे उन चंद दिनों में जिंदगी के सारे सबक समेटने की कोशिश करते थे। वो मुझ पर प्यार बरसाते थे और मुझे अनुशासित भी करते थे।”