बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार अशोक कुमार (Ashok Kumar) की 13 अक्टूबर को 112वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म आज ही के दिन 1911 में भागलपुर में हुआ था। उन्होंने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है और अभिनय से सभी को दीवाना बनाया। उनका असली नाम कुमुदलाल गांगुली था लेकिन वो दादामुनि के नाम से मशहूर थे। उन्होंने लंबे समय तक फिल्मों में काम किया और इसी वजह से उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। एक्टर ने सिनेमाघरों में ही नहीं असल जिंदगी में लोगों के दिलों पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। वो फिल्मों में आने से पहले लॉ की पढ़ाई कर रहे थे और फेल हो गए थे लेकिन, बाद में ज्यादातर मूवीज में वकील की भूमिका अदा की। ऐसे में उनकी इस भूमिका ने सभी को प्रभावित तो की मगर एक बच्चा कुछ ज्यादा ही प्रेरित हो गया और उसने उन्हें देखकर लॉ की पढ़ाई की और बाद में कानून मंत्री बने। चलिए बताते हैं इस किस्से के बारे में…

अशोक कुमार को देखकर वकील बनने वाले कोई और नहीं बल्कि अश्विनी कुमार हैं। ये वही अश्विनी हैं, जो मनमोहन सिंह की सरकार में कानून मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस के शासन काल में उन्होंने और भी कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने इस बात की जानकारी खुद जनसत्ता.कॉम को दी थी कि वो अशोक कुमार के बड़े फैन थे और फिल्मों में उनके वकील के रोल को देखकर ही वकालत की पढ़ाई करने का फैसला किया था। आज वो वकालत का बड़ा नाम हैं।

पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले अश्विनी कुमार ने जनसत्ता के खास कार्यक्रम ‘बेबाक’ में बात करते हुए बताया था कि वो फिल्मों के काफी शौकीन रहे हैं। कई अभिनेताओं के साथ उनके काफी अच्छे संबंध रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि उनके पसंदीदा एक्टर हमेशा से अशोक कुमार रहे हैं। अश्विनी कुमार उनके पसंदीदा अभिनय (बतौर वकील) से प्रेरित होकर वकालत में करियर बनाने का फैसला किया था। अशोक कुमार ने कई फिल्मों में वकील का रोल प्ले किया था। एक्टर ने असल जिंदगी में भी वकालत की पढ़ाई की थी मगर, वकालत की जगह उन्होंने सिनेमा में करियर बनाने का फैसला किया था। इसके बाद वो कांग्रेस सरकार में देश के कानून मंत्री बने थे और वकालत के क्षेत्र में उनकी तूती बोलती है।

लॉ में फेल हो गए थे अशोक कुमार

वहीं, अगर अशोक कुमार की बात की जाए तो वो बिहार के मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता उन्हें एक्टर नहीं बल्कि वकील बनाना चाहते थे मगर, किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने लॉ कॉलेज में एडमिशन ले तो लिया था लेकिन, एग्जाम पास नहीं कर पाए थे।

लैब असिस्टेंट रहे अशोक कुमार

अशोक कुमार ने हीरो बनने के लिए काफी स्ट्रगल किया। 40 के दशक में वो मुंबई आए तो यहां पर उन्होंने बॉम्बे टॉकीज में बतौर लैब असिस्टेंट काम किया। इस दौरान शधर उन्हें हिमांशु राय के पास ले गए और राय ने उन्हें एक्टर बनने के लिए कहा था। इसके बाद उन्हें फिल्म डायरेक्शन में असिस्ट करने का मौका मिला और उनकी पहली फिल्म ‘जीवन नैया’ 1936 में आई लेकिन, इस मूवी के लिए पहली पसंद नजम-उल-हसन थे, जिन्हें देविका रानी के साथ स्क्रीन शेयर करना था लेकिन, अंतिम समय पर वो प्रोजेक्ट को छोड़कर भाग गए थे। फिर डायरेक्टर ने गुड लुकिंग लैब असिस्टेंट रहे अशोक कुमार को हीरो बनाने का फैसला किया और बाद में उन्होंने देविका के साथ स्क्रीन पर रोमांस किया। अशोक कुमार को ‘अछूत कन्या’ से अच्छी पहचान मिली थी।