Goodbye Review in Hindi: जब परिवार में किसी बुजुर्ग का निधन होता है तो परिवार में शोक का माहौल होता है। लेकिन आज के दौर में जब बच्चे रोजगार की वजह से अपने माता-पिता से दूर शहर या दूसरे देश में रहते हैं तो उनके सामने यह कठिनाई आती है कि अंतिम संस्कार में कैसे शामिल हों। ऐसे में कुछ घर आते हैं और कुछ नहीं भी आ पाते हैं। फिर जिनको मॉडर्न कहा जाता है उनके मन में कई सवाल होते हैं कि जिस तरह से संस्कार किया जा रहा है वो होना भी चाहिए या नहीं।

वैज्ञानिकता की बात भी आती है कि कौन सा कर्मकांड वैज्ञानिक और कौन नहीं। विकास बहल निर्देशित फिल्म ‘गुडबाय’ ऐसे ही मसलों से गुजरती हुई पारिवारिक रिश्तों की गरमाहट तक पहुंचती है, पर हंसाते हुए। परिवार में मां (नीना गुप्ता) की मृत्यु हो जाती है और पिता (अमिताभ बच्चन) पत्नी के अंतिम संस्कार में लग जाते हैं। और लड़के-लडकियां जैसे तैसे घर आने की तैयारी करते हैं। अड़ोसी-पड़ोसी अंतिम संस्कार में मदद करने पहुंचते हैं।

ऐसे में कुछ लोगों का बर्ताव हास्यास्पद भी है, अजीब भी। घाट पर भी कुछ ऐसी ही स्थितियां है। लेकिन अंत तक पहुंचते-पहुंचते फिल्म ये कहती है कि निधन के बाद के जो रीति रिवाज होते हैं एक तरह से सही और उचित हैं। क्योंकि इसी कड़ी में परिवार के सदस्यों में ठंडे पड़ चुके रिश्तों में फिर से गरमाई आ जाती है। यहां ये भी बता देना सही होगा कि इस परिवार के जो बच्चे हैं उनमें अधिकतर अनाथालय से गोद लिए हुए हैं और भिन्न धर्मों के हैं।

रश्मिका मंदाना ने एक इंडिपेंडेंट युवा लड़की का किरदार निभाया है जिसके मन में रीति रिवाजों को लेकर कई सवाल हैं। पर आखिरकार वो भी समझ जाती है कि जो हो रहा है वो ठीक ही है। फिल्म में विकास बहल ने कुछ ऐसे दृश्य भी रखे हैं जो मजाकिया हैं। जैसे घर के बाहर अर्थी उठने तक मां के पीछे जो फोटो लगाया गया है उसमें वो शराब का गिलास हाथ में लिए हैं, क्योंकि घर में कोई और फोटो नहीं है। इसी तरह के कई और दृश्य हैं जिसमें हल्की हंसी भी है और तंज भी।