1947 में, शंकरदास केसरीलाल नाम का एक लड़का भारतीय रेलवे की माटुंगा वर्कशॉप में काम करता था। शिफ्ट के बीच में वे कविताएं लिखता था और मुशायरों में भी परफॉर्म करता था। बॉम्बे में एक ऐसे ही एक कार्यक्रम में उसकी मुलाकात एक्टर और फिल्ममेकर राज कपूर से हुई और यहीं से उसकी जिंदगी बदल गई। हम बात कर रहे हैं उनकी, जो भारतीय सिनेमा के महान लेखक थे और उन्हें शैलेन्द्र के नाम से जाना गया। जी हां! राज कपूर ने उन्हें इंडस्ट्री में कदम रखने में मदद की थी, हालांकि उनकी मौत का इल्जाम भी राज कपूर पर ही लगा था और ये इल्जाम किसी और ने नहीं बल्कि जावेद अख्तर ने लगाया था। आज हम उनके बारे में विस्तार से आपको बताने जा रहे हैं।

दरअसल एक कार्यक्रम में, जहां शैलेंद्र ने  ‘जलता है पंजाब’ कविता सुनाई थी, राज कपूर भी वहां मौजूद थे और वो उनके हुनर से काफी खुश हुए। कपूर ने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ में इस कविता का इस्तेमाल करने की पेशकश की, लेकिन शैलेंद्र ने मना कर दिया। मगर जब उनकी पत्नी प्रेग्नेंट हुईं तो वो खुद राज कपूर के पास गए और उनसे काम मांगा।

उस समय राज कपूर ‘बरसात’ पर काम कर रहे थे और दो गाने अब भी लिखने बाकी थे, ऐसे में 500 रुपये में शैलेंद्र ने ‘बरसात में’ और ‘पतली कमर है’ गीत लिखे, जो उस वक्त की उभरती हुई जोड़ी शंकर-जयकिशन के साथ हिट हुआ। ये राज कपूर के साथ शैलेंद्र की पार्टनरशिप की शुरुआत थी। राज कपूर, शैलेंद्र और संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन की तिकड़ी फिल्म इतिहास की सबसे प्रभावशाली टीमों में से एक बन गई।

शैलेंद्र के ‘आवारा हूं’ के लिरिक्स ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रियता हासिल की। ‘श्री 420’ के गानों को उनके लिरिक्स ने भारतीय सिनेमा के कुछ सबसे प्रतिष्ठित गीतों में से एक बना दिया। जिसमें ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ भी शामिल है। राज कपूर के कारण वो फिल्मों से जुड़े थे और बाद में शैलेंद्र ने बिमल रॉय की ‘दो बीघा जमीन’, ‘मधुमती’, ‘बंदिनी’ और विजय आनंद की ‘गाइड’, काला बाजार’ की फिल्मों समेत सलिल चौधरी, एसडी बर्मन और रविशंकर जैसे संगीतकारों के साथ भी काम किया।

राज कपूर के साथ उनका रिश्ता इतना गहरा हो गया कि उन्होंने 1960 में पैसा लगाकर कपूर और वहीदा रहमान के साथ अपनी पहली फिल्म बनाने का फैसला किया। ये फिल्म थी ‘तीसरी कसम’, जिसे बासु भट्टाचार्य ने डायरेक्ट किया था। ये फिल्म आज एक कल्ट क्लासिक मानी जाती है, लेकिन उस वक्त फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई थी। शैलेंद्र को फिल्म से बड़ा घाटा हुआ था। जावेद अख्तर ने कहा था कि राज कपूर की वजह से ही शैलेंद्र को ‘तीसरी कसम’ के निर्माण के दौरान बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। बाद में शैलेंद्र कर्ज तले दब गए और जब उनका निधन हो गया तो जावेद अख्तर ने कुछ ऐसा कहा, जिससे ऋषि कपूर आहत हुए।

इसके बारे में खुद ऋषि कपूर ने अपनी किताब  ‘खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ में बताया है। उन्होंने लिखा है कि जावेद अख्तर ने उनके पिता राज कपूर पर गीतकार शैलेंद्र की अचानक हुई मौत का आरोप लगाया था। ऋषि कपूर ने ये भी लिखा कि वो चाहते थे कि जावेद अख्तर सार्वजनिक तौर पर उनके पिता से माफी मांगे।

क्या बोले थे जावेद अख्तर?

ऋषि कपूर ने किताब में लिखा है कि जावेद ने दावा किया था कि शैलेन्द्र की मृत्यु उनकी फिल्म ‘तीसरी कसम’ (1966) के दौरान बढ़े कर्ज के कारण हुई, जिस फिल्म में उनके पिता राज कपूर ने काम किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राज कपूर ने फिल्म में देरी की जिसके कारण शैलेन्द्र पर कर्ज बढ़ गया। ऋषि ने लिखा, “मुझे आश्चर्य है कि वह किस कर्ज का जिक्र कर रहे थे क्योंकि मेरे पिता ने हर चीज के लिए भुगतान किया था और उन्हें फिल्म के लिए भी भुगतान नहीं किया गया था। यहां तक ​​कि उन्होंने अपने पैसे से फिल्म पूरी भी की।”

ऋषि के मुताबिक शैलेन्द्र को समर्पित एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर ने राज कपूर पर गंभीर आरोप लगाया था। जिसे लेकर ऋषि ने लिखा है, “जावेद ने मेरे पिता को गीतकार की मौत के लिए आरोपी ठहराया। मैं समझ नहीं पाया कि ऐसा क्यों कहा। शायद यह एपिसोड को मसालेदार बनाने के लिए किया था। बहुत से लोगों ने मुझसे कहा है कि मेरे पिता के बारे में उनके मन में हमेशा शिकायत रहती है।”

ऋषि ने आगे बताया, “मेरे पिता ने शैलेन्द्र के अस्पताल के बिलों का भुगतान करने का जिम्मा उठाया और उनके सभी कर्ज चुका दिए। मैंने आरके के साथ काम करने वाले सभी वरिष्ठ लोगों से इसकी जांच की है, मैंने अपनी मां से इसके बारे में पूछा है, मैंने उस समय आसपास मौजूद सभी लोगों से पूछताछ की है। मुझे लगता है कि जावेद को अपने मानहानिकारक बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए या पर्याप्त सबूत देना चाहिए कि मेरे पिता का शैलेंद्र की मौत से कोई लेना-देना था।” ऋषि कपूर एक बेहतरीन एक्टर थे, लेकिन एक गुस्सैल शख्स थे, उनके इस स्वभाव के बारे में हर कोई जानता है और अगर वो किसी से बैर पाल लेते थे तो मजाल है कि वो मान जाएं। उन्होंने अपनी किताब में ऐसे कई जिक्र किए हैं।

फिर चाहे वो शत्रुघन सिन्हा के साथ उनके पिता का आपसी मतभेद हो या फिर उनके पिता के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर, ऋषि कपूर की किताब में कई बातों के बारे में खुलकर बताया गया है। अगर आप भी उनके बारे में पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें…