शेखर कपूर की अध्यक्षता वाली जूरी ने कोलंबिया के सिरो गुएरा की जिस ‘एम्ब्रेस आफ दि सर्पेंट’ को भारत के 46 वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (गोवा) में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार (स्वर्ण मयूर और 40 लाख रुपए) दिया है, वह विश्व सिनेमा में एक अपूर्व प्रयोग है। आमेजन के दुर्गम जंगल मे दो वैज्ञानिक कारामाकाटे जनजाति के आखिरी बचे मनुष्य के साथ चालीस साल तक उस पवित्र दुर्लभ वनस्पति की खोज में जोखिमभरी यात्रा करते हैं जिसके असर से सारे दुख-दर्द मिट जाते हैं।

श्वेत-श्याम दृश्यावली में फिल्म का जादुई असर बेचैन करनेवाला है। फिल्म हमें प्रकृति और जनजातियों की उस अलक्षित दुनिया में ले जाती है, जहां अलग से किसी नाटकीयता की जरूरत नहीं है। भूगोल का सपाट छायांकन चरित्रों को ऐसा कैनवास प्रदान करता है कि अलग से अभिनय की जरूरत नहीं बचती।

ब्रिटिश फिल्मकार पीटर ग्रीनवे को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार (रजत मयूर और 15 लाख रुपए) दिलाने वाली फिल्म ‘आइजेंस्टाइन इन गुआनाजुआतो’ दरअसल सिनेमा के इतिहास की महाकाव्यात्मक पुनर्रचना है। विश्व सिनेमा में मोंटाज तकनीक के आविष्कार के लिए जाने गए महान रूसी फिल्मकार सर्जेई आइजेंस्टाइन 1931 में अपनी नई फिल्म बनाने मैक्सिको के गुआनाजुआतो शहर में डेरा डालते हैं। वह उनकी रचनात्मक प्रतिभा का उत्कर्ष काल था। हालांकि उन्हें हालीवुड में कोई खास सफलता नहीं मिल सकी थी और उन पर स्टालिनवादी रूस लौटने का जबरदस्त दबाव था। फिल्म एक जीनियस के आंतरिक संसार की जादुई छवियों और सांसारिक प्रेम सेक्स मृत्यु के प्रति उसकी इच्छाओं और भय की खोज में चलती रहती है। उन दस उन्मादी दिनों के रोजनामचे की सिनेमाई पड़ताल चकित करने वाली है।

फ्रेंच अभिनेता विंसें लिंडों के लिए यह दुहरी खुशी है। उन्हें स्टीफन ब्रीज की फिल्म दि मेजर आफ अ मैन के लिए एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार (रजत मयूर और 10 लाख रुपए) मिला। इससे पहले इसी वर्ष कान फिल्मोत्सव में इसी फिल्म के लिए उन्हें पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। आम आदमी की मजबूरियों की विविध आयामी अभिव्यक्तियों के लिए जूरी ने उनकी सराहना की है।

रिवाज से हटकर इस बार पांच अभिनेत्रियों को एक साथ सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया है। तुर्की की महिला फिल्मकार डेनिज गेम्ज इरगुवेन की ‘मुस्टांग’ पांच बहनों की सहभागी कथा में आजादी की वैश्विक पड़ताल करती है। बोलविया की जूलिया वर्गास को उनकी साहसिक फिल्म ‘सील्ड कार्गो’ के लिए स्पेशल जूरी पुरस्कार ( रजत मयूर और 15 लाख रुपए) दिया गया।

आइटीएफ टी यूनेस्को फेलिनी अवार्ड कौशिक गांगुली की बांग्ला फिल्म सिनेमावाला को मिला जिसमें एकल थिएटरों के लगातार बंद होते चले जाने के कारण एक पूरी सिनेमा संस्कृति की मृत्यु कथा का दुखांत है। जूरी ने सबर््िाया के गोरान राडोवानोविक की फिल्म एनक्लेव को स्पेशल मेंशन प्रोत्साहन पुरस्कार दिया है। फिल्म एक छोटे बच्चे के जरिए जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि में कई मानवीय आख्यान सामने लाती है।

रूस के बहुचर्चित फिल्मकार निकिता मिखालकोव को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार (10 लाख रुपए और मानपत्र) दिया गया। अब तक केवल चार रूसी फिल्मकारों को आॅस्कर पुरस्कार मिला है जिनमे निकिता मिखालकोव एक हैं। (अजित राय)