योगेंद्र माथुर

यदि हम धार्मिक फिल्मों के इतिहास का अवलोकन करें तो पाएंगे कि अब तक बनी सभी प्रकार की धार्मिक फिल्मों में सबसे अधिक फिल्में पुरुषोत्तम श्रीराम के व्यक्तित्व पर केंद्रित रही हैं, जिनमें श्रीराम के जीवन प्रसंग और उनके प्रेरणादायक गुणों का महिमा गान किया गया है।

भगवान श्रीराम के व्यक्तित्व पर सर्वप्रथम फिल्म बनाई थी भारतीय फिल्मों के जनक दादा साहब फालके ने। सन 1917 में निर्मित यह फिल्म थी लंका दहन। इस फिल्म में राम व सीता, दोनों की भूमिका एक ही पुरुष कलाकार ने निभाई थी। अन्ना सालुंके नामक यह व्यक्ति एक होटल का कर्मचारी था। फिल्म को अपार सफलता मिली थी।

सन 1919 में देश में कुल आठ कथाचित्रों का निर्माण हुआ, जिनमें तीन चित्र श्रीराम जन्म, राम और माया तथा सीता स्वयंवर श्रीराम के जीवन प्रसंग पर बने थे। श्रीराम जन्म दादा साहेब फालके ने बनाई थी, राम और माया का निर्माण ओरियंटल मेन्युफेक्चरिंग कंपनी ने किया था और सीता स्वयंवर एसएन प्रभाकर द्वारा निर्देशित थी।

श्रीराम जन्म के बाद दादा साहेब फालके ने दो और फिल्मों का निर्माण राम रावण युद्ध और राम राज्य वियोग नामक ये फिल्में उन्होंने क्रमश: 1924 और 1928 में बनाई थी। इसी दौर में लवकुश (1921), रामायण (1922), दशरथी राम और सीता स्वयंवर (दोनों 1929) तथा सीता हरण व लंका दहन (दोनों 1930) आदि फिल्में भी पर्दे पर दिखाई दीं।

फिल्मों को आवाज वरदान प्राप्ति के साथ ही एक बार पुन: निर्मातागण श्रीराम के व्यक्तित्व की ओर आकर्षित हुए। सन 1933 में एक साथ तीन फिल्में लंका दहन, रामायण व सीता स्वयंवर श्रीराम के जीवन चरित्र पर बनीं। सन 1934 में देवकी बोस द्वारा निर्देशित सीता को श्रीराम के जीवन संदर्भ में बनी अब तक की फिल्मों में श्रेष्ठ फिल्म माना गया। रामायण (1934), सीता हरण (1936) और राम संग्राम (1939) फिल्में बनीं और काफी पसंद की गईं।

सन 1942 और 1943 में श्रीराम के व्यक्तित्व को लेकर क्रमश: दो श्रेष्ठ फिल्में भरत मिलाप व राम राज्य प्रदर्शित हुई। इन दोनों फिल्मों का निर्माण प्रकाश पिक्चर्स तथा निर्देशक विजय भट्ट ने किया था। इसके बाद सन 1946 में सती सीता, सन 1948 में सीता स्वयंवर व श्रीराम भक्त हनुमान, सन 1949 में राम प्रतिज्ञा, सन 1950 में राम दर्शन व श्रीराम अवतार तथा सन 1951 में श्रीराम दर्शन जैसी फिल्में लगभग एक-एक वर्ष के अंतराल में प्रदर्शित हुईं।

राम बाण (1948) और राम विवाह (1949) जैसी फिल्में भी दर्शकों की सराहना का पात्र बनीं। सन 1951 में फिल्म हनुमान पाताल बनी। सन 1951 के पश्चात लंका दहन, राम धुन, राम राज्य, राम लीला, श्रीराम भरत मिलाप और राम लक्ष्मण आदि फिल्में प्रदर्शित हुईं। सन 1957 में फिल्म पवनपुत्र हनुमान आई। सन 1961 में वाडिया बंधुओं द्वारा निर्मित सम्पूर्ण रामायण लोकप्रिय फिल्म थी।

1961 में श्री भरत मिलाप प्रदर्शित हुई। सन 1965 में राम भरत मिलाप फिल्म प्रदर्शित हुई। सन 1967 में विजय भट्ट ने फिल्म राम राज्य (1943) को रंगीन स्वरूप में पुनर्निर्मित किया। राम बाण (1968), राम भक्त हनुमान (1969), बजरंगबली (1976) व महाबली हनुमान (1981) जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई।

अस्सी के दशक में जब टेलीविजन घर-घर पहुंचा और कथा धारावाहिकों के प्रदर्शन का सिलसिला आरंभ हुआ तो हिंदी सिनेमा के प्रख्यात फिल्मकार रामानंद सागर रामायण के कथानक को लेकर टीवी पर आए। उनके 87 एपिसोड वाले ‘रामायण‘ धारावाहिक का 25 जनवरी 1987 को टीवी पर प्रसारण शुरू हुआ और देखते ही देखते इसने लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड दिए।

स्थिति यह थी कि ‘रामायण‘ प्रदर्शन के समय भारत के हर घर में पूरा परिवार टीवी के सामने बैठ जाता था और सड़कों पर कर्फ्यू-सी स्थिति बन जाती थी। विगत कोरोना काल के दौरान इस धारावाहिक का दूरदर्शन पर पुनर्प्रसारण किया गया तब भी इसे खासी लोकप्रियता मिली। हाल ही में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक ओम राउत पांच भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में बनी फिल्म आदिपुरुष को भी बड़ी सफलता मिली। सोनी चैनल पर प्रसारित हो रहा धारावाहिक श्रीमद् रामायण दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है।

यह धारावाहिक रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण की स्मृतियों को ताजा कर रहा है। वर्ष 2024 और आगामी वर्षों में बड़े परदे के साथ छोटे परदे और ओटीटी प्लेटफार्म पर भगवान श्रीराम के आकर्षक, मनोहारी, आदर्श व प्रेरणादायक व्यक्तित्व और जीवन चरित्र से जुड़े कथानकों के प्रदर्शन के साथ भगवान श्रीराम की जयकार होने वाली है।