अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे की अभी जांच चल रही है, जिसमें लगभग 260 लोगों की मौत हो गई थी। हाल ही में, इस हादसे की जांच से संबंधित 15 पन्नों की एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की गई है। इस प्लेन क्रैश में सिर्फ एक यात्री, विश्वाश कुमार रमेश ही जिंदा बचा, जो फ्लाइट की सीट नंबर 11A पर बैठा था। अब शनिवार को यूट्यूबर फ्लाइंग बीस्ट उर्फ गौरव तनेजा ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने सेफ्टी मैटर्स के फाउंडर, एक अन्य पायलट कैप्टन अमित सिंह से बात करते हुए बताया कि यात्रियों की जान कैसे बच सकती थी।

ठीक से बेल्ट नहीं लगी: गौरव

अपनी वीडियो में बात करते हुए गौरव ने बताया कि 1998 में भी थाई एयरवेज की एक दुर्घटना में सभी यात्री मारे गए थे, लेकिन 11A पर सवार यात्री बच गया था। उन्होंने कहा, “लोग 11A के लिए ज्यादा किराया देने को तैयार हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सबसे सुरक्षित सीट है।” फिर गौरव ने इस बारे में अपने सिद्धांत शेयर किए कि किस तरह यात्री की जान बच सकती थी। उन्होंने कहा कि भाग्यशाली यात्री या तो सीट पर नहीं था या फिर उसकी सीट ठीक से बेल्ट नहीं लगी थी और विमान के जोरदार टक्कर लगते ही बेल्ट खुल गई। गौरव ने बताया कि कारों के विपरीत, हवाई जहाजों में दो-बिंदु वाली सीट बेल्ट होती हैं, क्योंकि वे व्यक्ति के श्रोणि क्षेत्र पर लगी होती हैं।

इसके आगे उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कारों में सीट बेल्ट व्यक्ति के धड़ को भी ढकती है, इसलिए टक्कर की स्थिति में शरीर सीट के पीछे चिपका रहता है और आगे की दिशा में नहीं गिरता। हालांकि, हवाई जहाज में सिर्फ श्रोणि क्षेत्र सुरक्षित होता है, इसलिए शरीर का ऊपरी और निचला हिस्सा आगे की दिशा में धकेल दिया जाता है, जिससे व्यक्ति के कूल्हे वाले पार्ट में गंभीर चोटें आती हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बेल्ट मटेरियल के कारण व्यक्ति के इंटरनल ऑर्गन्स भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

गौरव तनेजा ने कही ये बात

उन्होंने बताया कि 11A के यात्री के आगे 6 फीट की खाली जगह थी, इसलिए उसकी आगे की स्पीड को धीमा करने के लिए पर्याप्त जगह थी। विमान के सबसे मजबूत हिस्से के ऊपर स्थित थी, इसलिए वह टक्कर से बच सका। ऐसे मामलों में जहां कोई व्यक्ति विमान दुर्घटना में बच जाता है, लेकिन बेल्ट लगाकर अपनी सीट पर बैठा रहता है, उसके लिए बचना मुश्किल होता है क्योंकि उसकी श्रोणि की चोट उसे चलने नहीं देती। फर धुएं और आग से घिरे विमान में ज्यादा समय बिताना वैसे भी जानलेवा हो सकता है।