निर्दशक -नीला माधव पांडा, कलाकार- राधिका आप्टे, कुणाल कपूर, सौरभ शुक्ला, गुलशन ग्रोवर।

कह सकते हैं कि इसमें पानी की समस्या को राजनीति और सामंतवाद में मिलाया गया है। और जब इतनी मिलावट हो तो क्या बनेगा? अनुमान लगाइए।

सौरभ शुक्ला ने एक ऐसे राजा साहब का किरदार निभाया हो जो काफी खस्ताहाल है। उनका महल अब गिरा तब गिरा की हालत में है। राजा साहब ऊपरी नाम के गांव में रहते हैं। यहां पानी की समस्या है। लेकिन पास के गांव में पानी बहुत है। राजा साहब का बेटा राजेश (कुणाल कपूर) विदेश जाना चाहता है। लेकिन राजा साहब पैसा कहां से लाएं? कोई जमीन भी खरीदने के तैयार नहीं है। फिर राजेश सुझाव देता है कि साथ वाले गांव में खारू पहलवान (गुलशन ग्रोवर) की बेटी जाह्नवी (राधिका आप्टे) से शादी करने के लिए पटा लें तो पैसा मिल जाएगा।

जाह्नवी पढ़ी-लिखी है और अपने गांव की तरक्की के लिए काम कर रही है। राजेश उसे पटा तो लेता है लेकिन ऐसे में उसे उससे प्रेम हो जाता है और वो सच में उससे शादी करना चाहता है। राजा साहब को यह स्वीकार नहीं। और न ही जाह्नवी के पिता को। दोनों तरफ से तलवारें निकल जाती हैं। लेकिन तभी एक चमत्कार होता है और सब कुछ ठीक हो जाता है।

फिल्म में सामंतवाद का उत्पीड़क रूप भी दिखाया है और ध्वस्त रूप भी। लेकिन चमत्कार की वजह से फिल्म का अंत कमजोर हो जाता है। सौरभ शुक्ला और राधिका का काम बहुत अच्छा है। लेकिन निर्देशक नीला माधव पांडा के लिहाज से यह बहुत अच्छी फिल्म नहीं कही जाएगी।