किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत किसान आंदोलन की खातिर समर्थन जुटाने के लिए कई राज्यों में किसान महापंचायतों का हिस्सा बन रहे हैं। हरियाणा के कई इलाकों में किसान महापंचायत को संबोधित करने के बाद अब वो राजस्थान में हैं। राकेश टिकैत इस महीने राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में भी किसान महापंचायतों को संबोधित करेंगे। उनका कहना है कि वो इसी महीने की 13 तारीख को पश्चिम बंगाल भी जाएंगे और वहां महापंचायत करेंगे। राकेश टिकैत का यह दौरा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हो रहा है।
राकेश टिकैत ने न्यूज 24 से बातचीत में यह भी कहा कि अब इस आंदोलन में आम लोगों को शामिल होना चाहिए। दिल्ली की सीमाओं से लगी सड़कों पर किसान आंदोलन को देखते हुए बैरिकेड्स लगाए गए हैं। इस पर राकेश टिकैत ने कहा, ‘अब सरकार को सड़कें खोलनी चाहिए। आम जनता को आना चाहिए, तोड़ना चाहिए बैरियर। जनता की सड़क थी सरकार ने बंद कर दी।’
राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार सड़कों को खोल नहीं रही ताकि आम लोगों को दिक्कत हो और वो इसके लिए किसान आंदोलन को दोष दें। राकेश टिकैत के इन बयानों पर सोशल मीडिया यूजर्स भी खूब टिप्प्णी कर रहे हैं। अशोक शेखावत नाम के यूजर लिखते हैं, ‘यह सही कहा है, आम लोगों को भी किसान आंदोलन में भाग लेना चाहिए।’
राजेश गौर नाम के यूजर लिखते हैं, ‘किसान आंदोलन के नाम पर घर बैठे किसानों को उकसाने वाली देश मे शांति विरोधी ताकतों से सतर्क रहना चाहिए। हर किसान इनके इरादे जान चुका है। इनकी नजर कहीं और है इशारा कहीं और है। दोगलेपन से युक्त ये नेता और उकसाने, भड़काने वाले ये दल अपने गिरेबान में झांके कि उन्होंने किसानों का भला कब किया है।’
हरदीप मारवाह नाम के यूजर लिखते हैं, ‘राकेश टिकैत केवल और केवल देशव्यापी माहौल बनाकर राजनेता बनने की पृष्ठ भूमि तैयार कर रहे हैं। किसानों का कंधा इस्तेमाल कर खुद को लाइमलाइट में रख रहे हैं। किसानों की समस्या का खुद समाधान नहीं चाहते। किसानों को गुमराह किया जा रहा है राजनीतिक स्वार्थ की खातिर।’
संजय शर्मा लिखते हैं, ‘अंग्रेजो के बाद ये सरकार भारत के देशवासियों को सबसे बड़ा मुर्ख समझती है इसलिए किसानों के आंदोलन में देश के हर नागरिक को सहयोग करना चाहिए। वो चाहे छात्र हो, बेरोजगार हो, मजदूर हो, भ्र्ष्टाचार विरोधी हो, हिंदू, मुस्लिम हो या सिख, ईसाई हो, रोटी सभी को चाहिए।’