राजीव सक्सेना
विगत माह मधुर भंडारकर और प्रकाश राज के निर्देशन में दो वेबफिल्म प्रदर्शित हुर्इं। वहीं तापसी पन्नू ने, निर्माता बतौर दोहरी भूमिका वाली अपनी फ़िल्म सिनेमाघर की बजाय ओटीटी पर रिलीज करके इस माध्यम पर अधिक विश्वास जताया है। इधर, खाकी : बिहार चेप्टर जैसी नई सीरीज भी चर्चा में बनी हुई है।
खाकी : बिहार चैप्टर (नेटफ्लिक्स)
खाकी : बिहार चैप्टर की खासियत इस सीरीज के ताने-बाने बुनने में बरती गई ईमानदारी है। आइपीएस अमित लोढ़ा के मूल नाम से उनका किरदार निभा रहे पुलिस अधीक्षक की पहली नियुक्ति बिहार के संवेदनशील इलाके में की जाना एक चुनौती की तरह रहा। उसी जिले के एक गांव में भीषण नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया।
बिहार की राजनीतिक कलुषता पर महारानी सरीखी सफल वेबसीरीज लिखने वाले लेखक उमाशंकर सिंह और बिहार के दबंगों पर वेब शृंखला रंगबाज का निर्देशन कर चुके भव धूलिया की जुगलबंदी खाकी : बिहार चेप्टर को उम्दा ट्रीटमेंट के साथ पेश करने में कामयाब हुई है।
फाडू : शीर्षक से इतर उम्दा प्रस्तुति (सोनी लिव)
वेब शृंखला के शीर्षक और इसके भीतर प्रयुक्त गैरज़रूरी अपशब्दों को नजरअंदाज करें तो इसका कथानक अभी तक की शृंखलाओं से अलग, कुछ नयापन देता है। मध्य प्रदेश के उज्जैन से मुंबई महानगर पहुंचे एक परिवार का झुग्गी बस्ती में जीवनयापन का संघर्ष, आटोरिक्शा चालक पिता, बीमार मां और शराबी भाई की तीमारदारी में बेतरह उलझे नायक की कुछ बड़ा करने की महत्त्वाकांक्षा की कहानी है।
इंडिया लाकडाउन : फिल्म या वृत्तचित्र (जी फाइव)
कोविड 19 के दौरान देश के महानगरों में अचानक घोषित सरकारी तालाबंदी से उपजे हालात की सपाटबयानी है वेब फिल्म इंडिया लाकडाउन। पूरी फिल्म यूपी, बिहार के मजदूरों के पलायन, यौनकर्मियों की विकट स्थिति और अपनों से दूर मुंबई की अट्टालिकाओं में अकेले रहने वालों की बिगड़ती परिस्थितियों पर केंद्रित है।
तड़का : खाने का अजब जूनून
दक्षिण के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज, ओटीटी के ज़रिए अपनी नकारात्मक छवि को बदलने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। खाने के शौकीन एक पुरातत्ववेत्ता तुकाराम और रेडियो उद्घोषक मधुरा की कहानी को दिलचस्प मोड़ के साथ पेश कर प्रकाश राज ने हल्के-फुल्के मनोरंजन में रोमांस का अनूठा तड़का लगाया है।
ब्लर : तापसी पन्नू का विफल प्रयोग (जी फाइव)
नायिका दोहरी भूमिका में हो और दोनों को ही दृष्टि दोष हो, चिकित्सा विज्ञान इसे स्वीकार कर लें, पर दर्शक का मनोविज्ञान इस तरह के कथानक से इत्तफाक नहीं रख पाएगा। निर्देशक, लेखक अजय बहल के साथ निर्माता बतौर तापसी का ये प्रयोग, बहुत कम दर्शक पसंद कर पाएंगे।