Express Adda: भारत के मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन, लेखक और शायर ज़ाकिर खान ने इंडियन एक्सप्रेस के Express Adda में शिरकत की। जहां उन्होंने अपनी प्रेरणा और वो हमेशा हिंदी भाषा का इस्तेमाल क्यों करते हैं, इसके बारे में बताया। उन्होंने हिंदी को इश्क की तरह बताया और साथ ही कहा कि वो इस भाषा को बोलने में सहज हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आपकी भाषा आपके कपड़ों की तरह होती है, जिससे आपके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ पता चलता है।

इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयंका ने ज़ाकिर से पूछा कि वो कैसे अपने शोज को हिंदी में कर लेते हैं। दरअसल ज़ाकिर खान 17 अगस्त 2025 को न्यूयॉर्क के ऐतिहासिक Madison Square Garden में हिंदी भाषा में कॉमेडी शो करने वाले पहले भारतीय कॉमेडियन बने। इसे लेकर उनसे सवाल किया गया कि ऐसा वो कैसे कर पाए। इस पर उन्होंने सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए कहा, “आप अपने काम अगर ठीक से करें, जैसे मुझे इंस्पायर करने वाले लोगों में से एक सचिन तेंदुलकर, आप अपनी टीम को जीताने की कोशिश करें, रिकॉर्ड तो साहब बनते रहते हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं जिस जमीन से आता हूं, मैं जिस जगह से आता हूं, मैं जिस जुबान में कंफर्टेबल हूं। मैं उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों में पहुंचाने की कोशिश करता हूं। अगर हमारे यहां के बच्चे कंटेंट के आधार पर कोरियन भाषा सीखने को तैयार हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि हम भी वो दिन देखेंगे जब हमारा कंटेंट, हमारी बातें इस हद तक पहुंच सके कि बाहर के लोग भी हिंदी सीखने की कोशिश करें। इसलिए मैंने ये कदम उठाया है।”

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जब उनसे पूछा गया कि उनसे अनुसार भारत का हिंदी के साथ क्या रिश्ता है? इस पर ज़ाकिर ने कहा, “उन्होंने कहा कि ये प्यार जैसा है। ये शुद्ध हिंदी नहीं है, लेकिन ये सीखना अपने आप में बड़ी चीज होती है। हम जिस जगह से आते हैं, मध्य प्रदेश, वहां पर बहुत क्लिष्ट हिंदी के शब्द बोले जाते हैं, पर हमारी जो भाषा है उसमें हमेशा लोकल इंप्रेशन रहेगा। उदाहरण के लिए एक लखनऊ की हिंदी है, कानपुर की हिंदी, जबलपुर की हिंदी, ग्वालियर की हिंदी, गोरखपुर की हिंदी में फर्क है। उसका कारण ये है कि जो आपकी बोली है उसकी हमेशा उंगलियों के निशान रहते हैं।”

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अंग्रेजी भी है जरूरी

ज़ाकिर ने अंग्रेजी को लेकर भी कहा कि अंग्रेजी सीखना भी बहुत जरूरी है। सबको ही आनी चाहिए, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि हर भाषा को अपने तरीके से बोलने का तरीका सही होता है। उनका कहना है कि अगर किसी ने गलत उचारण गलत किया तो उन्हें टोकना नहीं चाहिए, हो सकता है उन्होंने सुनकर नहीं पढ़कर सीखा हो। हिंदी के साथ भी वैसा ही।