हिंदी सिनेमा जगत की हीमैन कहे जाने वाले एक्टर धर्मेंद्र (Dharmendra) की पर्सनल लाइफ जगजाहिर है। वो फिल्मों के साथ ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी काफी चर्चा में रहे हैं। उनकी और हेमा मालिनी की लव स्टोरी और शादी के बारे में हर किसी की पता है। एक्टर ने उनसे शादी के लिए धर्म बदल लिया था क्योंकि वो पहले से ही शादीशुदा थे। उनकी पहली वाइफ प्रकाश कौर हैं और हेमा मालिनी से शादी के बाद भी वो अपने पहले परिवार के साथ रहते हैं। ऐसे में आज आपको उनसे जुड़े उस किस्से के बारे में बता रहे हैं जब ईशा देओल को स्कूल में बच्चे चिढ़ाते थे और उन्हें पिता की पहली फैमिली के बारे में पता चला था।

दरअसल, ईशा देओल को पिता धर्मेंद्र की पहली फैमिली के बारे में पता तब चला था जब वो चौथी क्लास में थीं। इस बात का जिक्र हेमा मालिनी की बायोग्राफी ‘हेमा मालिनी: बियोंड द ड्रीम गर्ल’ में राम कमल मुखर्जी द्वारा किया गया है। इस किताब की मानें तो ईशा देओल जब चौथी क्लास में थीं तो स्कूल में बच्चे उनसे पूछते थे, ‘तुम्हारी दो मां हैं ना?’ ईशा से जब बच्चों ने ये पूछा तो वो शॉक्ड रह गईं और उन्होंने तुरंत गुस्से में जवाब दिया, ‘ये क्या घटिया बात कर रहे हो। मेरी एक मां हैं।’ किताब के मुताबिक, ईशा देओल बताती हैं कि वो जैसे तैसे जल्दी स्कूल से घर पहुंचीं और इसके बारे में मां हेमा मालिनी से बात की।

ईशा देओल ने मां को स्कूल में दोस्तों की सारी बातों के बारे में बताया और कहा कि वो लोग ऐसे सवाल करते हैं। ईशा मानती हैं कि ये वो समय था जब हेमा मालिनी ने बेटी को धर्मेंद्र की पहली फैमिली के बारे में सोचा। किताब के अनुसार, ईशा बताती हैं, ‘सोचिए कि हम चौथी क्लास में थे और हमें कुछ नहीं पता होता था, आजकल के बच्चे काफी होशियार हो गए हैं।’ ईशा ने कहा कि इसी दौरान उनकी मां हेमा ने उन्हें बताया कि उनके पिता धर्मेंद्र का एक और परिवार है।

पैरेंट्स ने कभी असहज महसूस नहीं होने दिया- ईशा देओल

ईशा देओल ने बताया, ‘उस समय मैं समझ पाई कि मेरी मम्मी ने ऐसे इंसान से शादी की है, जो पहले से शादीशुदा है और उसकी एक फैमिली भी है। लेकिन सच कहूं तो मुझे कभी भी इसका बुरा नहीं लगा। मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है। मैं इसका पूरा क्रेडिट अपने पैरेंट्स को दूंगी कि उन्होंने कभी भी हमें असहज महसूस नहीं होने दिया।’ ईशा बताती हैं, ‘धर्मेंद्र रोज घर आते थे और उनके साथ खाना खाते थे लेकिन वो कभी रुकते नहीं थे। अगर रुकते थे तो लगता था कि सबकुछ ठीक है।’