फिल्मकार मणिरत्नम का कहना है कि फिल्में मुद्दों पर पर सिर्फ बात करने के लिए नहीं बनाई जाती हैं, बल्कि वे महसूस होने चाहिए और और सोचने पर मजबूर करने वाले होने चाहिए। मणिरत्नम की कुछ फिल्में भारतीय समाज की जटिलताओं पर आधारित रही हैं। वह अपनी नई फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन -1’ की रिलीज होने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने पहली बार इतिहास पर आधारित फिल्म बनाई है।
इसकी कहानी 9वीं सदी के चोल वंश पर आधारित है। फिल्मकार ने साक्षात्कार में कहा, ‘ सभी मुद्दे आज भी वास्तविक और प्रासंगिक हैं। यह 1,000 साल पहले था और इसमें से बहुत कुछ अभी भी आम है। राजनीति, सत्ता के लिए संघर्ष और इससे होने वाली पीड़ा… फिल्म में हर व्यक्ति किसी न किसी से स्वयं को जोड़ सकेगा।’ रत्नम ने कहा, ‘ हम वास्तविक जीवन में विभिन्न चरणों से गुजरते हैं और एक ऐसा समय होता हैं जब सिर्फ वे मुद्दे आपके लिए मायने रखते हैं और आप उन्हें फिल्मों में बदलने की कोशिश करते हैं। ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनके बारे में बात करने के लिए मुझे कोई माध्यम नहीं मिला, इसलिए उनपर फिल्म नहीं बनी।’
‘लता सुर-गाथा’ का अंग्रेजी अनुवाद अगले साल जनवरी में
प्रतिष्ठित गायिका दिवंगत लता मंगेशकर पर आधारित किताब का ‘लता: सुर गाथा’ का अंग्रेजी अनुवाद अगले साल की शुरुआत में बाजÞार में उपलब्ध होगा। भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत गायिका की 93वीं जयंती की पूर्व संध्या पर ‘पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया’ (पीआरएचआइ) ने बताया कि किताब का अंग्रेजी अनुवाद अगले वर्ष जनवरी से बाजार में मिलेगा। ‘लता : ए लाइफ इन म्यूजिक’ को मूल रूप से लेखक कवि यतींद्र मिश्रा ने हिंदी में कलमबद्ध किया था। इसे अब जानी-मानी लेखिका एवं अनुवादक इरा पांडे ने अंग्रेजी में अनुदित किया है।
किताब को 64वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और ‘मामी अवार्ड फार बेस्ट राइटिंग आन सिनेमा’ (2016-17) मिला था। मिश्रा ने एक बयान में कहा,‘ लता दी दुनिया भर में मशहूर कलाकार हैं। इस बहुचर्चित और सम्मानित पुस्तक को अंग्रेजी में नए पाठक ढूंढते देखना एक वास्तविक सम्मान की बात है।’ अंग्रेजी संस्करण पर टिप्पणी करते हुए, अनुवादक पांडे ने कहा कि मिश्रा की किताब का तर्जुमा करने के दौरान लता की गायिकी, उनकी विनम्रता और संगीत के प्रति उनके समर्पण को शब्दों में पिरोना चुनौती के साथ-साथ आनंददायक था। लता मंगेशकर का पिछले साल छह फरवरी को 92 वर्ष की आयु में निधन हो था।