बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्में देने के लिए मास्टर कार्ड बन चुके सलमान खान का फिल्मी करियर आज आसमान छू रहा है। बॉलीवुड के भाईजान सलमान खान फिल्म इंड्रस्टी में अपनी किस्मत आजमाने वाले नए चेहरों के ‘गॉडफादर’ भी कहा जाता है। लेकिन आपको मालूम ही होगा सलमान खान ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत और कितना स्ट्रगल किया है। भले ही सलमान खान ने पहली फिल्म सन् 1988 में ‘बीवी हो तो ऐसी’ की हो लेकिन उन्हें पहचान सन् 1989 में रिलीज हुई फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ से मिली थी। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि यह फिल्म बनती ही नहीं अगर सूरज ने अपने दादा तारा चंद बड़जात्या की बात मान ली होती? चलिए बताते हैं आखिर क्या था पूरा मामला।

सभी जानते हैं कि फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ सूरज बड़जात्या की डायरेक्ट की गई पहली फिल्म थी। ‘मैंने प्यार किया’ के सुपरहिट होने के बाद जहां यह फिल्म सूरज के करियर की शुरुआत के लिए काफी खास बन थी। वहीं स्ट्रगल कर रहे सलमान खान को इसी फिल्म से पहचान मिली थी और वह रातों-रात स्टार बन गए थे।

क्या आप यकीन करेंगे कि जब सूरज बड़जात्या अपने निर्देशन में बनने वाली पहली फिल्म की तैयारी कर रहे थे तो वह ‘मैंने प्यार किया’ नहीं थी। हुआ कुछ यूं था कि जब सूरज ने अपने पिता राजकुमार बड़जात्या से एक फिल्म डायरेक्ट करने इच्छा जाहिर की। राजकुमार बेटे सूरज की यह बात सुनकर सोच में पड़ गए कि क्या बेटे के लिए 60-70 लाख का रिस्क उठाया जा सकता है या नहीं।

यह बात सूरज के दादा ताराचंद बड़जात्या तक पहुंची तो उन्होंने सूरज को फिल्म बनाने के लिए हरी झंडी दे दी लेकिन एक शर्त पर। ताराचंद बड़जात्या चाहते थे कि वह दोस्ती के विषय पर अपनी फिल्म तैयार करें। सूरज ने दादा की शर्त के मुताबिक जोरो-शोरो से 4 महीने की मेहनत के बाद फिल्म स्क्रिप्ट तैयार कर ली और गाने में राम-लक्ष्मण को लिया। सूरज से दादा और मां समेत परिवार के सभी लोग खुश थे लेकिन आखिरी वक्त में सूरज के पिता राजकुमार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए।

राजकुमार बड़जात्या को बहुत समझाया गया लेकिन वह चाहते थे कि युवाओं के लिए फिल्म बनाई जाए। इसके बाद सूरज ने दादा की दोस्ती वाली थीम को पीछे छोड़कर पिता की यूथ थीम की बात मान ली और हारकर नई स्क्रिप्ट पर काम शुरू किया। फिल्म बनकर तैयार हुई, गाने कंपोज किए गए और कास्टिंग की गई जिसमें सलमान खान को मौका दिया गया। यह फिल्म रिलीज हुई तो बहुत बड़ी हिट साबित हुई थी। बॉलीवुड में सलमान खान को पहचान दिलाने में इस फिल्म का बहुत बड़ा हाथ है। अगर उस वक्त सूरज बड़जात्या दादा की दोस्ती थीम की बात मान लेते तो शायद तब ‘मैंने प्यार किया’ नहीं बन पाती और सलमान खान को भी इस फिल्म से पहचान नहीं मिल पाती।