धर्मेंद्र और उनकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में हैं, लेकिन इस अनुभवी अभिनेता ने अक्सर बताया कि कैसे उनकी लगातार कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें कभी बेस्ट एक्टर का पुरस्कार नहीं मिला। धर्मेंद्र ने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में की हैं, जिन्हें क्रिटिक्स का अच्छे रिव्यू मिले और एक अभिनेता के रूप में उनका सफर बहुत शानदार रहा। एक ऐसा दौर भी था, जब बॉलीवुड में सिर्फ ‘ही-मैन’ ही छाए हुए थे। रोमांटिक और कॉमेडी भूमिकाओं तक, धर्मेंद्र ने सब कुछ किया, मगर उनका बेस्ट एक्टर अवॉर्ड पाने का सपना अब तक पूरा नहीं हुआ। हालांकि उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला है।

अभिनेता का सफर 1960 में शुरू हुआ था जब उन्हें फिल्म’ दिल भी तेरा, हम भी तेरे’ में मुख्य भूमिका के लिए साइन किया गया था। इस फिल्म के लिए धर्मेंद्र को 51 रुपये फीस मिली थी, मगर 60 के दशक के अंत तक धर्मेंद्र एक स्टार बन चुके थे। उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्में की हैं, जिनमें ‘फूल और पत्थर’, ‘शोले’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘सत्यकाम’, ‘मेरा गांव मेरा देश’ और ‘चुपके चुपके’ जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।    

धर्मेंद्र ने कई बार बड़े लोकप्रिय फिल्म पुरस्कार न मिलने के बारे में खुलकर बात की है और कहा है कि शुरुआत में यह उन्हें परेशान करता था, लेकिन अब वह  ट्रॉफियों से ज्यादा दर्शकों के अपार प्यार को महत्व देते हैं।

यह भी पढ़ें: Dharmendra Health Updates: अस्पताल से डिस्चार्ज हुए धर्मेंद्र, डॉक्टर ने खुद दिया अभिनेता का हेल्थ अपडेट

हर साल नया सूट सिलवाते थे धर्मेंद्र

दिलीप कुमार और सायरा बानो ने साल 1997 में 42वें फिल्मफेयर अवॉर्ड समारोह में धर्मेंद्र को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया, तो अभिनेता ने कहा, “मुझे काम करते हुए 37 साल हो गए हैं। हर साल मैं एक नया सूट सिलता था, मैचिंग टाई ढूंढता था, इस उम्मीद में कि मुझे कोई अवॉर्ड मिलेगा, लेकिन मुझे कभी अवॉर्ड नहीं मिला।”
 
उन्होंने आगे कहा, “मेरा सिल्वर, गोल्डन जुबली सब हुआ, लेकिन मुझे कोई अवॉर्ड नहीं मिला। फिर कुछ सालों बाद, मैंने हार मान ली। मैंने तय किया कि मैं टी-शर्ट और शॉर्ट्स या कच्छा पहनकर चला जाऊंगा।” अभिनेता ने आगे कहा।

यह भी पढ़ें: ‘मैं और वो पंजाब में…’, दिव्या दत्ता ने अभिनेता धर्मेंद्र के लिए किया पोस्ट, एक्टर को बताया बहुत कीमती
 

कई इंटरव्यू में, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि जनता का स्नेह ही उनकी बेस्ट पहचान है। उनका मानना है कि लोगों से मिलने वाला प्यार किसी शेल्फ पर पड़ी धूल भरी ट्रॉफियों से कहीं बेहतर है।” पीटीआई को दिए एक पुराने इंटरव्यू में, धर्मेंद्र से पूछा गया था कि उन्हें कोई अवॉर्ड क्यों नहीं मिला? इस पर उन्होंने कहा, “आम तौर पर, लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड्स मिलने का मतलब होता है ‘रिटायरमेंट’। लेकिन मैं शांत नहीं बैठूंगा। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता कि मुझे अवॉर्ड क्यों नहीं मिला। लेकिन मुझे लगता है कि मैं ‘फूल और पत्थर’, ‘सत्यकाम’, ‘चुपके-चुपके’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘शोले’ और ‘नया जमाना’ जैसी कई फिल्मों के लिए इसका हकदार था।”

धर्मेंद्र का फिल्मी करियर सात दशक लंबा रहा। उन्हें आखिरी बार 2023 में आई फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में देखा गया था। उन्होंने इस फिल्म में शबाना आजमी के साथ रोमांटिक सीन किया था, जिसके लिए उन्हें दर्शकों की खूब सराहना भी मिली थी।