बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र आज भी अपने फैंस के बीच काफी लोकप्रिय हैं और उनके निभाए किरदार लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। धर्मेंद्र ने जब फिल्मी दुनिया में कदम रखा, तब उनके सिर पर किसी का हाथ नहीं था, उनका कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। उन्होंने अकेले ही अपने दम पर भारतीय फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाई। उनका शरीर इतना गठा हुआ पहलवानों जैसा था कि जब वो डायरेक्टर्स के पास जाते तो उन्हें कहा जाता कि आप जाकर पहलवानी करो, एक्टिंग में क्यों आ गए।
धर्मेंद्र ने यह किस्सा रजत शर्मा के शो, ‘आपकी अदालत’ पर सुनाया था। रजत शर्मा ने जब उनसे पूछा कि जब आप मुंबई आए थे और प्रोड्यूसर्स के पास जाते थे तो वो कहते थे कि पहलवान जी जाकर कुश्ती लड़ो, यहां क्यों आए हो तो उनका जवाब था, ‘हालांकि फिल्म बंदनी के लिए मुझे साइन कर लिया गया था। लेकिन विमल दा और गुरुदत्त, ये लोग आराम से फिल्में बनाते थे। फिल्म बनने में वक्त लग गया और बॉम्बे जैसे शहर में मैं मिडिल क्लास आदमी अपना गुजारा कर रहा था।’
उन्होंने आगे बताया, ‘मुझे फिर एक और फिल्म, ‘लव इन शिमला’ के लिए बुलाया गया। मेरे टेस्ट होने के बाद वो कहने लगे कि मुझे हॉकी प्लयेर नहीं हीरो चाहिए। इस तरह से कई बार हुआ।’
धर्मेंद्र ने इसी तरह का एक और किस्सा सुनाया जहां सलमान खान उनसे उनके थाईस का राज़ पूछने लगे। उन्होंने बताया, ‘मैं बहुत मेहनती था, खेतों में काम करना, साइकिल चलाना, 50 मिल आना- जाना, उससे मेरे थाईस मजबूत हो गए थे। एक दफा मुझसे सलमान ने कहा कि पाजी ऐसे थाईस कैसे बनेंगे। मैंने कहा कि बेटे ये तो बन गए अब तो शायद ऐसे नहीं बनेंगे।’
धर्मेंद्र ने अपने गठीले और ताकतवर शरीर का फिल्मों में भी खूब इस्तेमाल किया। वो अपने फ़िल्मों के एक्शन सीन भी खुद ही करते थे इसलिए उन्हें बॉलीवुड का ही- मेन भी कहा जाता है। धर्मेंद्र हमेशा से यही चाहते थे कि वो फिल्मी दुनिया में जाएं। फिल्मों से उन्हें इतना लगाव था कि वो बचपन में स्कूल छोड़कर फिल्म देखने निकाल जाते थे।
धर्मेंद्र ने 1960 में फिल्म, ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। कहा जाता है कि उन्हें उनकी पहली फिल्म के लिए मात्र 51 रुपए दिए गए थे। उनके लिए बॉलीवुड में पहचान बनाना इतना आसान नहीं था। कई फिल्में करने के बाद 1966 में आई फिल्म, ‘फूल और पत्थर’ से उन्हें पहचान मिली थी।