Deva Movie Review: ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ में शाहिद कपूर ने पुलिसवाले की वर्दी जरूर पहनी थी मगर बड़े पर्दे पर उन्होंने कभी कॉप का रोल नहीं निभाया था। फिल्म देवा के साथ शाहिद कपूर ने भी बड़े पर्दे पर इंस्पेक्टर बनकर एक्शन कर लिया। मगर देवा एक ऐसा पुलिसवाला है जो वर्दी पहनना नहीं पसंद करता उसका कहना है कि वर्दी की एक रिस्पेक्ट है और मैं गलत काम वर्दी के साथ नहीं कर सकता। उसकी हरकतें ऐसी होती हैं कि पत्रकार दिया (पूजा हेगड़े) अखबार में उसकी फोटो छाप देती है पुलिसवाला या माफिया?
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Deva Movie Review: देवा की कहानी
देवा की जिंदगी में यू-टर्न तब आता है जब उसके बहुत अच्छे दोस्त और ईमानदार पुलिस अफसर रोशन डिसिल्वा का मर्डर हो जाता है। देवा अपने दोस्त के कातिल को ढूंढ़ने में जी-जान लगा देता है। वो असली कातिल का पता भी लगा लेता है मगर वो अपनी रिपोर्ट सब्मिट कर पाता उससे पहले उसका एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमें उसकी याद्दाश्त चली जाती है। अब वही केस उसे दोबारा सॉल्व करने की जिम्मेदारी मिलती है। उसे पता लगाना है कि उसके दोस्त को किसने मारा और पुलिस में से कौन खबरी है जो सारी खबरें गैंगस्टर तक पहुंचा रहा है। जब भी हम थ्रिलर फिल्में फिल्म देखते हैं तो मन ही मन अनुमान लगा रहे होते हैं कि असली कातिल कौन होगा, मगर इस फिल्म का सस्पेंस जब खुलेगा तो आप दंग रह जाएंगे। फिल्म का क्लाईमैक्स ऐसा है जो आपने बिल्कुल नहीं सोचा होगा।
Deva Movie Review: देव ए और देव बी
देवा की कहानी बॉबी-संजय ने लिखी है, कहानी ऐसी है जिसपर एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी, मगर स्क्रीनप्ले ऐसा नहीं है जो आपको फिल्म से बांध पाए। फिल्म के कई सीन लंबे लगते हैं। वहीं देवा के किरदार को भी अच्छे से पेश नहीं किया गया है। फिल्म का क्लाईमैक्स हमें हैरान जरूर करता है मगर संतुष्ट नहीं करता है। याद्दाश्त जाने के बाद देव ए बन जाता है देव बी। देव ए का स्वैग हमें इम्प्रेस करता है मगर याद्दाश्त जाने के बाद देव बी का स्वैग गायब हो जाता है। जिस तरह से देवा ये केस सॉल्व करता है उसमें भी मजा नहीं आता है। केस की गुत्थी सुलझाने के लिए वो कुछ ऐसा नहीं करता है जिससे सस्पेंस थ्रिलर के दीवानों को मजा आए।
Deva Movie Review: मुंबई पुलिस की सस्ती कॉपी है देवा
साल 2013 में आई मलयालम भाषा की फिल्म मुंबई पुलिस की इसे सस्ती कॉपी कह सकते हैं। मेकर्स इस बात से कितना भी इनकार करें कि उनकी फिल्म अलग है मगर ऐसा है नहीं। फिल्म का क्लाईमैक्स जरूर बदला गया है मगर कहानी में ज्यादा बदलाव है नहीं। खास बात ये है कि ओरिजनल फिल्म का क्लाईमैक्स दमदार था, वहां वजह मिलती है कातिल को कत्ल करने की। मगर शायद शाहिद कपूर बड़े पर्दे पर पृथ्वीराज सुकुमारन की तरह गे का रोल निभाने की हिम्मत ना रखते हों और फिल्म में बदलाव कर दिया गया हो। निर्देशक रोशन एंड्रयूज अपनी ही फिल्म को दोबारा पहले जैसी शानदार नहीं बना पाएं।
Deva Movie Review: कैसी है एक्टिंग?
एक्टिंग की बात करें तो शाहिद कपूर ने बेहतरीन काम किया है। उनका स्वैग, डांस और एक्शन सब कुछ एवन है। पवैल गुलाटी रोशन डिसिल्वा के रोल में अच्छे और फिट लगे हैं। देवा के बॉस और ACP फरहान खान के रोल में प्रवेश राणा इम्प्रेस करते हैं। कुब्रा सैत का रोल छोटा है मगर वो भी अपने काम से छाप छोड़ती हैं। पूजा हेगड़े का काम अच्छा है मगर पूरी फिल्म में वो ना के बराबर है। देवा और दिया के रोमांस को भी स्क्रीनस्पेस नहीं दिया गया है। सिर्फ एक वाट्सएप चैट से पता चलता है कि दोनों रिलेशनशिप में थे और शादी करने वाले थे।
ऐसा नहीं है कि फिल्म बहुत बुरी है। फिल्म के कुछ सीन अच्छे हैं और सस्पेंस खुलने तक आप कुर्सी से चिपककर बैठे रहेंगे। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है, हालांकि गाने कोई भी यादगार नहीं हैं। आप शाहिद के फैन हैं तो थियेटर्स में जाकर देवा देख सकते हैं वरना ओटीटी पर ये फिल्म देखना एक अच्छा विकल्प है। इस फिल्म को मैं 5 में से 2.5 स्टार दूंगी।