हनुमान जयंती एक अवसर पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद आरोप लगाया जा रहा है कि जो लोग जुलूस में शामिल थे उन लोगों ने मस्जिद पर झंडा लगाने की कोशिश की थी और इसी के बाद स्थिति बिगड़ गई और दंगे जैसे हालात हो गये। AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी यही आरोप लगाए। हालांकि दिल्ली पुलिस के सीपी राकेश अस्थाना ने इस बात से इंकार किया तो अशोक पंडित ओवैसी पर करार हमला बोल दिया।

ओवैसी और दिल्ली पुलिस के चीफ राकेश अस्थाना के बयान का वीडियो शेयर करते हुए अशोक पंडित ने ट्विटर पर लिखा कि “मुझे लगता है अब ओवैसी को वकालत छोड़कर पुलिस की जांच में शामिल होना चाहते हैं। मगर पुलिस की जांच पर उन्हें भरोसा नहीं है तो क्या हो सकता है। दिल्ली पुलिस सीपी के बयान के उलट बयान अपराधियों को खुलकर बचाव करने की कोशिश है।”

सोशल मीडिया पर अब लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। उज्जवल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ये कौम की बात है, उनके लिए काफीरों को मारना के साधारण सा काम है।’ सन्नी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आतंकी को कौन सपोर्ट करता है, ऐसा लगता है दिल्ली पुलिस ने चूड़ी पहन रखी है।’

 बाबा तोमर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘स्पेन, स्वीडन से लेकर भारत में यही लोग ही क्यों पत्थरबाजी करते हैं? आखिर इन्हें ही क्यों परेशानी है?’ महेश्वरी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘उसे (ओवैसी को) दोष नहीं दे सकते। वह अपने समुदाय के सदस्यों को सपा और बसपा के चंगुल से छुड़ाने और उनके एकमात्र नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कभी भी तथ्यात्मक आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया।’

हेमंत राज नाम के यूजर ने लिखा कि ‘इनके लिए कौम के आगे कुछ नहीं।’ रोहित श्रीवास्तव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘कम से कम झूठ बोलने से पहले थोड़ा तो सोच लिया होता।’ दत्तू जोशी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ये हमले सिर्फ हिन्दू त्योहार पर हिन्दू रैली पर ही क्यों होते हैं? कभी सुना है कि दूसरे धर्मों की रैली पर पत्थर फेंके गए।’

एक अन्य यूजर ने लिखा कि ‘हिन्दुओं के देश मे हिन्दू देवी-देवता का जुलूस निकालने के लिए काहे की परमीशन?चन्द्रशेखर पाटिल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ओवैसी और बीजेपी एक सिक्के के दो पहलू हैं।’ संतोष परब नाम के यूजर ने लिखा कि ‘रामनवमी पर हुए पूरे देश मे दंगे बताते हैं कि ये सिर्फ संयोग नहीं प्रयोग है।