फरहान अख्तर की फिल्म लखनऊ सेंट्रल 15 सितंबर को रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म कंगना रनौत की सिमरन और ऋषि कपूर, परेशा रावल की पटेल की पंजाबी शादी के साथ रिलीज हो रही है। अगर आप फरहान के करियर को देखेंगो तो आपको पता चल जाएगा कि एक्टर ऐसी फिल्में लेकर आते हैं जो कंटेट के हिसाब से काफी अच्छी होती हैं। यह फिल्म साथ ही बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई करती है।

इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम के साथ बातचीत में ट्रेड एनालिस्ट गिरीश जौहर ने बताया- मैं उम्मीद कर रहा हूं कि फिल्म शुक्रवार को 2 करोड़ रुपए कमा लेगी। ट्रेलर औसत था और इसी वजह से इसे लेकर एक्साइटमेंट लेवल कम हैं। रविवार तक अपेक्षा है कि फिल्म 7-8 करोड़ रुपए कमा लेगी। सबकुछ माउथ पब्लिसिटी पर निर्भर करता है। पिछले हफ्ते डैडी रिलीज हुई थी जोकि एक बायोपिक थी। फिल्म तो बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन अर्जुन रामपाल की परफॉर्मेंस को काफी सराहा गया। वहीं फरहान की फिल्म भी सच्ची घटनाओं पर आधारित है।

ट्रेड एनालिस्ट की उम्मीदों पर फिल्म खरी उतरी और पहले दिन 2.04 करोड़ रुपए कमा लिए। लखनऊ सेंट्रल के जरिए रंजीत तिवारी डेयरेक्शन में डेब्यू कर रहे हैं। यह फिल्म सपनों, नुकसान और जिंदगी में कैसे जीवित रहा जाए उसकी कहानी को बयां करती है। फिल्म की कहानी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। कहानी की बात करें तो फिल्म पांच कैदियों के इर्द-गिर्द घूमती है जो आजाद होने का सपना देखते हैं। ट्रेलर में फरहान अख्तर कहते हैं- बंदे कैद होते हैं सपने नहीं, शहर छोटे होते हैं सपने नहीं। फिल्म में फरहान उत्तर प्रदेश में रहने वाले एक लड़के किशन का किरदार निभा रहे हैं जो गायक बनना चाहता है।

किशन की इच्छा है कि वो एक बैंड बनाए। लेकिन इसी बीच उसकी जिदंगी में ऐसा कुछ घटता है जिसकी वजह से उसपर खून का इल्जाम लगता है और वो लखनऊ सेंट्रल जेल पहुंच जाता है। अपने ट्रायल के दौरान उसे पता चलता है कि मुख्यमंत्री ने स्वतत्रंता दिवस के मौके पर इंटर जेल प्रतियोगिता का आयोजन किया है। रवि किशन ने मुख्यमंत्री की भूमिका निभाई है जो अखिलेश यादव से प्रेरित है। इसके बाद किशन एनजीओ कर्मी (डायना पेंटी) की मदद से एक बैंड बनाने का निर्णय लेता है। जबकि उसका मुख्य मकसद जेल से भागने का होता है।

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