मुंबई कांग्रेस चीफ संजय निरूपम ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र में डिमांड की है कि राज्य सरकार को आरके स्टूडियो की प्रॉपर्टी को अधिगृहीत कर लेना चाहिए। निरूपम का कहना है कि इंडस्ट्री के सबसे पुराने और लोकप्रिय स्टूडियो में शुमार आरके स्टूडियो को एक फिल्म म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया जाए।

निरूपम ने अपने पत्र में लिखा – कपूर खानदान के लिए ये यकीनन फाइनेंशियल से ज़्यादा एक इमोशनल नुकसान होगा। पिछले कई दशकों में, मुंबई के लोगों ने भी इस महान स्टूडियो के साथ एक इमोशनल बॉन्ड बना लिया है। इसलिए हम डिमांड करते हैं कि सरकार इस जगह की प्रॉपर्टी को मार्केट वैल्यू के हिसाब से हासिल कर ले और इस स्टूडियो को एक फिल्म म्यूज़ियम में तब्दील करे। इससे हमारे देश के एक महत्वपूर्ण हेरिटेज को भी बचाया जा सकेगा और इस कदम से सरकार रेवेन्यू भी कमा सकती है।

गौरतलब है कि 70 साल पुराने आरके स्टूडियो को कपूर खानदान ने बेचने का फैसला किया था।  कपूर परिवार इस स्टूडियो को बेचने के लिए बिल्डर्स, डेवलपर्स और कॉर्पोरेट्स से लगातार संपर्क बना रहा है। एक साल पहले 16 सितंबर को दो एकड़ में बने इस स्टूडियो में आग लग गई थी, जिसके कुछ हिस्से बुरी तरह जल गए थे। एक वजह इस स्टूडियो को बेचने की ये भी है कि इस स्टूडियो में काम बेहद कम हो गया है क्योंकि अंधेरी या फिर गोरेगांव में लोकेशन आसानी से उपलब्ध है और इस स्टूडियो के दूर होने के चलते भी लोग यहां आने से कतराते हैं। इस स्टूडियो में राज कपूर 90 फीसदी फिल्मों का निर्माण किया करते थे लेकिन आज इसकी हालत ठीक नहीं है।

गौरतलब है कि आरके फिल्म्स ने बरसात(1949), आवारा(1951), बूट पॉलिश(1954), श्री420 (1955) और जागते रहो (1956) जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया है। इस स्टूडियो में जिस देश में गंगा बहती है (1970), मेरा नाम जोकर (1970), बॉबी, सत्यम शिवम सुंदरम (1978), प्रेम रोग (1982) और राम तेरी गंगा मैली (1985) जैसी फिल्मों का निर्माण हुआ है। फिल्म बॉबी के साथ ही ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी।


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