जकल कथक नृत्य में ज्यादातर शोर देखने-सुनने को मिलता है। पर इस लीक से हटकर, परंपरा की खुशबू का अहसास तलाश-ए-हक नृत्य प्रस्तुति में देखने को मिला। इसका आयोजन इंडिया हैबिटेट सेंटर में किया गया। इसमें कथक नृत्यांगना जयश्री आचार्य ने नृत्य पेश किया। नृत्यांगना जयश्री आचार्य ने अपने नृत्य का आरंभ एकल प्रस्तुति से किया। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के शबद पर आधारित नृत्य किया। ‘एक ही स्वरूप सब है’ में अनंत के साथ एकाकार होने के अहसास को नृत्यांगना ने बखूबी पेश किया। थाट, चलन, गतों में अच्छा ठहराव, नजाकत और सौम्यता दिखी। इसके अगले अंश में उन्होंने कथक की तकनीकी बारीकियों को पेश किया। इसमें लखनऊ घराने की खास तिहाइयों, आमद, परमेलू, गत निकास को प्रस्तुत किया।

उपज में पैर के काम में लयकारी के अंदाज को पेश किया। मध्य लय की रचना ‘दिग-दिग-ता-थुंग’ के बोल पर पैर के काम के साथ चक्करों का प्रयोग मोहक था। वहीं, आमद ’ता-थेई-तत्ता’ में उन्होंने पलटे व चक्कर के प्रयोग के साथ, बैठकर सम पर आने का अंदाज सुंदर था। आरोह की तिहाई में पैर का काम संतुलित था। साथ ही, लड़ी में ‘धा-धिंना’ का अंदाज सरस था। उन्होंने गत निकास में सादी गत और कलाई की गत को पिरोया। जयश्री लगातार अपने गुरु पंडित बिरजू महाराज के सानिध्य में रहती हैं और कार्यशालाएं करती रहती हैं।
अगली पेशकश उनकी शिष्याओं की थी। यह प्रस्तुति सरगम पर थी। यह राग आभोगी और तीन ताल में निबद्ध थी। शिष्याओं ने नायिका के सोलह शृृंंगार को हस्तकों और मुद्राओं से दर्शाया। उन्होंने नृत्य के अंतिम चरण में सवाल-जवाब का प्रयोग किया। अगली पेशकश पंडित लच्छू महाराज की रचना ‘बाजी घर आई’ पर थी। इसमें एक ओर शिष्याओं ने झूले की गत को पेश किया, वहीं दूसरी ओर जयश्री ने विरहिणी नायिका के भावों को अभिनय के जरिए दर्शाया।

नृत्य प्रस्तुति के अगले चरण में जयश्री ने मीरा बाई की रचना को नृत्य में पिरोया। ‘सिर धरे मटकिया डोले’ के बोल पर आधारित नृत्य में जयश्री ने कृष्ण के प्रति मीरा के भावों को विवेचित किया। कृष्ण के रूप के प्रति मोहित नायिका के भावों को दर्शाया। भक्ति रस से सराबोर यह नृत्य मोहक था। समारोह में जयश्री आचार्य की नृत्य रचनाओं को पेश किया गया। उनके साथ कंचन, एलिशा, नंदिनी और गौरी ने नृत्य किया। तबले पर शिव शंकर रे, सरोद पर अमिताभ मजूमदार और बांसुरी पर प्रवर टंडन ने संगत की। शबद और गीतों को सुमित मिश्रा ने सुरों में पिरोया।