Cirkus movie review: ‘सर्कस’ फिल्म में दीपिका पादुकोण पर फिल्माया गया आइटम सॉन्ग ‘करेंट लगा रे’ दर्शकों को खूब पसंद आया था, लेकिन फिल्म कॉमेडी का करेंट देने में नाकामयाब हो गई है। संजय मिश्रा और मुकेश तिवारी की भूमिकाएं भले हंसी का डोज़ देती हैं, लेकिन पूरी फिल्म की बात की जाए तो यह बहुत कमजोर फिल्म साबित हुई है। रोहित शेट्टी की नई फिल्म ‘सर्कस’ की तुलना कई साल पहले गुलजार के निर्देशन में आई ‘अंगूर’ से होगी क्योंकि दोनों शेक्सपीयर के नाटक कॉमेडी ऑफ एरर्स’ पर आधारित हैं, लेकिन जो सिनेमा हॉल से ‘सर्कस’ देखकर निकलेंगे वे इसकी तुलना रोहित शेट्ट्री के गोलमाल सीरीज की फिल्मों से करेंगे क्योंकि इसमें कहानी केंद्रित हास्य नहीं बल्कि कलाकारों के निजी प्रदर्शन से उपजा हास्य अधिक है। फिल्म में कई पुराने फिल्मीं गानों का भी इस्तेमाल हुआ है पर वो उस पुरानी गली में भ्रमण जैसा है जिसमें किसी की पुरानी प्रेमिका रहती थी।
फिल्म में रणवीर सिंह रॉय नाम के दो युवकों की भूमिका में और वरुण शर्मा जॉय नाम के दो आदमियों की भूमिका में हैं।पहला रॉय एक सर्कस कंपनी मे बिजली मिस्त्री है। उसकी पत्नी माला पूजा हेगड़े हैं। दूसरा रॉय बैंग्लोर शहर में रहता और दूसरा जॉय भी। दूसरा रॉय बिंदु (जैक्लीन फर्नांडिज) नाम की लड़की से इश्क करता है हालांकि उसके पिता राय बहादुर संजय मिश्रा को शक होता है कि उसकी बेटी जिस शख्स से प्रेम कर रही है वो पहले से शादीशुदा है।
‘सर्कस’ की कहानी
वो ऊटी में रॉय और माला के देख लेता है। चूंकि दोनों रॉय की शक्लें एक जैसी हैं इसलिए राय बहादुर का शक गहराता जाता है और इसी भ्रम पर पूरी फिल्म टिकी है। बीच-बीच में दूसरे चरित्र भी आते जाते रहते हैं इसलिए कई तरह के वाकये होते रहते हैं। इसी कारण फिल्म का फोकस रणवीर सिंह से अलग होकर दूसरे कलाकारों पर भी जाता रहता है।
देखें या नहीं?
ओवरऑल फिल्म कमजोर है और रोहित शेट्टी वाला जादू फिल्म से मिसिंग है।