CineGram: कई बार एक छोटी सी गलती या छोटी सी लापरवाही की वजह से जान चली जाती है, ऐसा ही हुआ था इंडियन सिनेमा की उस खलनायिका के साथ जिसने छोटी सी उम्र में ही बेहतरीन काम से लोगों का दिल जीत लिया था। हम बात कर रहे हैं कुलदीप कौर की। फिल्म इंडस्ट्री में कुलदीप कौर को पहली खलनायिका के तौर पर जानते हैं। उन्हें इंडियन सिनेमा की बैड गर्ल के नाम से जाना जाता था। उनका काम इतना शानदार रहता था कि लोग उनसे नफरत करने लगते थे। मगर एक छोटी सी गलती की वजह से कुलदीप कौर का निधन हो गया।

कुलदीप कौर खलनायिका के रोल से हुईं फेमस

बड़े परदे पर खलनायिका बनकर अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाली कुलदीप कौर का जन्म 1927 में हुआ था। कुलदीप रॉयल फैमिली से आती थीं। उन्होंने साल 1949 में कनीज़, 1951 में अफसाना, 1952 में बैजू बावरा और 1953 में अनारकली जैसी फिल्मों में खलनायिका बनकर अपने अभिनय की छाप छोड़ी। उन्होंने अपने काम से साबित कर दिखाया कि खलनायक की भूमिका भी उतनी ही अहम होती है जितनी नायक की। कुलदीप कौर के काम में एक आक्राकता और तीव्रता झलकती थी जो उन्हें बाकी एक्टर्स से अलग करती थी। वो सिनेमा में बड़ा नाम बन सकती थीं, मगर 33 साल की उम्र में कुलदीप कौर का निधन हो गया। 3 फरवरी 1960 को उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके जानने वालों को इस बात का अफसोस था कि एक गलती इतनी भारी पड़ गई कि कुलदीप जी की जान चली गई।

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बेर के कांटों ने फैला दिया कुलदीप कौर की बॉडी में इंफेक्शन

किस्सा टीवी पर छपी खबर के मुताबिक साल 1960 में कुलदीप कौर शिरडी यात्रा पर गई थीं, वहां एक बेर का पेड़ दिखा तो कुलदीप बेर खाने के लिए वहां पहुंच गईं। बेर तोड़ते समय कुछ कांटे उनके पैरों में चुभ गए। कुछ कांटों को तो उन्होंने निकाल दिया मगर कुछ कांटे उनके शरीर के अंदर रह गए। उन्होंने इसे सीरियसली नहीं लिया और लौटकर फिल्मों की शूटिंग शुरू कर दी। मगर इसका परिणाम बहुत बुरा हुआ। शरीर के अंदर मौजूद कांटों की वजह से उन्हें टेटनस हो गया। इंफेक्शन इतना बढ़ गया कि उन्हें तेज बुखार की वजह से अस्पताल में एडमिट कराया गया। मगर तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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निधन के बाद रिलीज हुई थी कुलदीप कौर की ये फिल्म

कुलदीप कौर का निधन फिल्म इंडस्ट्री के लिए गहरी क्षति थी। उनकी आखिरी फिल्म, यमला जट उनकी मृत्यु के बाद रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म एक पंजाबी फिल्म थी, जिसमें उनकी अदाकारी को अंतिम बार पर्दे पर देखा गया। उनके निधन के बाद भी उनकी यादें और फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में जीवित हैं।