Chhath Geet: बिहार की स्वर कोकिला शादरा सिन्हा को इस दुनिया से गए लगभग 11 महीने हो गए हैं। 2024 में 5 नवंबर को उनका दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हुआ था। वो ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं और 72 साल की उम्र में वो इस गंभीर बीमारी से जीवन की जंग हार गईं। छठ के दिन उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा था और अब फिर से छठ आने वाली है, मगर शारदा सिन्हा के छठी मैया के गीतों के बिना ये त्योहार अधूरा है। ऐसे मेंहम आपको उनका सबसे मशहूर छठ गीत बताने जा रहे हैं, जो आज भी यूट्यूब पर काफी देखा और पसंद किया जाता है।

शारदा सिन्हा का वो प्रसिद्ध छठ गीत है ‘बांझी केवड़वा धइले ठाढ़’, जो उनकी एक अनमोल रचना माना जाता है। इसे छठ पूजा के दौरान बिहार और भोजपुरी क्षेत्र में बहुत सुना और गाया जाता है। इस गीत में शारदा सिन्हा की मधुर आवाज ने चार चांद लगा दिए हैं।

गीत के बोल और अर्थ

‘बांझी केवड़वा धइले ठाढ़’ गीत में व्रती महिलाएं खरना के दौरान अपनी भावनाएं व्यक्त करती हैं। गीत के टाइटल का अर्थ है कि आठ काठ की कोठरी में भगवान विराजमान हैं, और उनके द्वार पर सोने की झालर लगी हुई है।

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गीत के बोल हैं-

आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ,
रूपे छन लागल केवाड़
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ,
रूपे छन लागल केवाड़
ताही ऊपर चढ़ि सूतले हो दीनानाथ,
बांझी केवड़वा धईले ठाढ़

चद्दर उघारि जब देखले हो दीनानाथ,
कोने संकट परल तोहार
नयना संकट परल मोरा हो दीनानाथ,
ओहिला केवरवा धैले ठार

काया संकट परल मोरा हो दीनानाथ,
ओहिला केवरवा धैले ठार
बांझिनी के पुत जब दिहले हो दीनानाथ,
खेलत कुदत घर जात

अन्हरा के आंख दिहले कोढ़िया के कायवा,
हंसत बोलत घर जात

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इस गीत को गाने के साथ-साथ इसे लिखा भी शारदा सिन्हा ही है और इसे छठी मइया से पुत्र कामना की प्रार्थना करने के लिए रचा गया है।