Cannes Film Festival 2024: कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 का आगाज हो चुका है और इंडियन एक्टर्स के साथ-साथ इस ग्रैंड इवेंट में हमेशा ही इंडियन फिल्मों का भी बोलबाला रहता है। इस साल भी Cannes Film Festival में भारत की फिल्मों का प्रीमियर होने वाला है। एक या दो नहीं पूरी 7 इंडियन फिल्में इस फेस्टिवल में दिखाई जाएंगी, इनमें राधिका आप्टे की ‘सिस्टर मिडनाइट’ से लेकर संध्या सूरी की डेब्यू फिल्म ‘संतोष’ शामिल है।

ऑल वी इमेजिन एज लाइट (All We Imagine As Light)

प्रियंका कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ शाजी एन करुण की 1994 की फिल्म ‘स्वाहम’ के बाद 30 सालों में कान्स में मुख्य प्रतियोगिता में प्रदर्शित होने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी है। कहानी दो नर्सों की है जो मुंबई में एक साथ रहती हैं और अपने सपनों को पूरा करने की यात्रा तय करती हैं।

संतोष (Santosh)

संध्या सूरी की डेब्यू फिल्म का कान्स में प्रीमियर होने जा रहा है। फिल्म की कहानी एक विधवा की है, जिसका पति जो पुलिसकर्मी था कुछ समय पहले ही चल बसा और अब वो महिला अपने पति की नौकरी करने को मजबूर है और उसकी पोस्टिंग एक ग्रामीण क्षेत्र में हुई है।

इन रीट्रीट (In retreat)

मैसम अली की कान्स में ACID सेक्शन में किसी फिल्म का प्रीमियर करने वाले पहले भारतीय निर्देशक बन गए हैं। ये सेक्शन यह स्वतंत्र सिनेमा को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। फिल्म ‘इन रीट्रीट’ एक ऐसे व्यक्ति पर आधारित है जो कई सालों के बाद अपने पैतृक स्थान लद्दाख लौटता है।

सिस्टर मिडनाइट (Sister Midnight)

राधिका आप्टे की ब्लैक कॉमेडी फिल्म ‘सिस्टर मिडनाइट’ भी कान्स में दिखाई जाने वाली है। इसे करण कंधारी ने डायरेक्ट किया है और इसकी कहानी एक नई नवेली दुल्हन की है।

शेमलेस (Shameless)

‘शेमलेस’ का भी कान्स में प्रीमियर होने जा रहा है। ‘द शेमलेस’ बल्गेरियाई निर्देशक कॉन्स्टेंटिन बोजानोव द्वारा बताई गई एक भारतीय कहानी है। कहानी दो महिलाओं की है जो अपनी परिस्थितियों से भागने की कोशिश कर रही हैं।

सनफ्लावर वर द फर्स्ट टू नो (Sunflowers Were The First To Know)

चिदानंद नाइक की शॉर्ट फिल्म ‘सनफ्लावर वर द फर्स्ट टू नो’ कान्स में ला सिनेफ सेक्शन में प्रीमियर होने वाली है। यह इस केटेगरी में क्वालीफाई होने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म है। इसकी कहानी एक बुजुर्ग महिला के बारे में है जो गांव का मुर्गा चुरा लेती है। ऐसा करने के लिए उसे और उसके परिवार को बड़ी सजा मिलती है।

कूकी (Kooki)

असम की यह हिंदी फिल्म एक 16 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के बारे में है, जिसे न्याय नहीं मिलता और इस कारण वो अपमानित महसूस करती है। इसका डायरेक्शन प्रणब जे. डेका ने किया है।