दिल्ली के जहांगीरपुरी में एमसीडी ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने के नाम बुलडोजर चला दिया। बुलडोजर चलने से अधिकतर लोग नाराज दिखाई दिए लेकिन उनका भी मानना था कि निर्माण अवैध था। लेकिन इसी बीच एक ऐसी दुकान पर भी बुलडोजर चल गया जिसको DDA ने ही परमिशन दे रखी थी। इसी पर बॉलीवुड एक्टर कमाल आर. खान ने तंज कसा है।

कमाल आर. खान ने ट्विटर पर लिखा कि “बहुत खूब! उत्तम! दानव किसी को नहीं छोड़ते। अगर आज किसी और की बारी है तो कल आपकी बारी जरूर आएगी।” दरअसल गणेश कुमार गुप्ता नाम के व्यक्ति ने दावा किया कि ‘मैंने अधिकारियों को दुकान के दस्तावेज दिखाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं देखा और सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के एक घंटे बाद भी बुल्डोजर चलाते रहे और मेरी दुकान तोड़ दी।’ इसी पर KRK ने तज कसा है।

कमाल आर. खान ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि “देश में पुलिस कोर्ट बन गई है। पुलिस कभी भी किसी का भी घर तबाह कर सकती है। मतलब पुलिस बिना किसी सबूत और कोर्ट के आदेश के किसी को भी अपराधी घोषित कर सकती है. तो यह कैसा लोकतंत्र? यह एक तानाशाही है और यह ब्रिटिश शासन से भी बदतर है।”

अभिनेता रणवीर शौरी ने भी बुलडोजर कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी है। रणवीर शौरी ने लिखा कि ‘मुझे पथराव करने वालों और भूमि हथियाने वालों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, लेकिन किसी भी घर को ध्वस्त करते समय कम से कम एक सभ्य राज्य, कानून की प्रक्रिया का पालन कर सकता है और यह विडंबना ही है कि न्यायपालिका को कभी आश्चर्य नहीं होता कि अवैध अप्रवासी और निर्माण स्थान पर कैसे आते हैं। (संभवतः भ्रष्ट) अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं, जिन्होंने उन्हें पहले जगह में अनुमति दी।”

KRK को जवाब देते हुए करण नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अवैध निर्माण को ही तोड़ा गया है कमाल खान, अपवाद हो सकता है।’ अंकित नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सबका साथ सबका विकास, पुलिस से पहले भाईजान लोग ही कोर्ट हो गए हैं। जहां मन वहां पत्थर मारते हैं। अब झेलो।’  

तृप्ति पटेल नाम की यूजर ने लिखा कि ‘आपसे सहमत हूं लेकिन ये वही मिलॉर्ड्स हैं जो हर बार तोड़फोड़ करने की मुहिम में रहते हैं। कार्रवाई नहीं होने पर इन दंगाइयों का हर बार हौसला बढ़ता है।’ रवि नाम के यूजर ने लिखा कि ”शांतिपूर्ण’ अनाधिकृत इमारतों का निर्माण करते हैं, सांप्रदायिक दंगों में लिप्त होते हैं, कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करते रहते हैं। जब कोई इस तरह के शरारती, कुख्यात दुर्व्यवहार करने वालों को नियंत्रित करने की कोशिश करता है, तो अदालतें हस्तक्षेप करती हैं। अब, कुछ राजनेता जो इस तरह की घटनाओं की कामना करते हैं, वे आग की लपटों में घी डालने की कोशिश करते हैं।’