ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को अंतरिम जमानत मिलने के बाद उनके समर्थक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की तारीफ कर रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग जैसे कमाल आर.खान, स्वरा भास्कर, ऋचा चड्ढा व संगीतकार विशाल ददलानी ने जुबैर की जमानत पर खुशी जाहिर की है। वहीं फिल्ममेकर अशोक पंडित ने मोहम्मद जुबैर को आतंकी बताया है।

कमाल आर. खान ने ट्विटर पर इस खबर को शेयर करते हुए लिखा है,”सुप्रीम कोर्ट ने न्याय किया है।” जिसपर यूजर्स ने केआरके को कहा कि अगर वो भारत से ताल्लुक नहीं रखते तो उन्हें भारत की फिक्र करने की जरूरत नहीं है। स्वास्तिक श्रीवास्तव ने लिखा,”पहले ही करियर खत्म है और ऐसे ट्वीट्स करके और मत डुबाओ खुद को।” कुणाल चिंटू ने लिखा,” सुप्रीम कोर्ट का सारे फैसले आप लोग क्यूं नहीं मानते। CAA NRC मुद्दे पर तो आप सुप्रीम कोर्ट की नहीं सुनते।”

बॉलीवुड एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने लिखा,”जुबैर अब एक प्रमाणित पत्रकार हैं!” जिसपर शुभम नाम के यूजर ने लिखा,” हे भगवान! सबसे पहले मैंने प्रमाणित आतंकवादी पढ़ा।” सोम नाम के यूजर ने लिखा,”ऐसा लगता है कि ये सब सिर्फ ये साबित करने के लिए हुआ कि मोहम्मद जुबैर पत्रकार है। ये ऐसा है जैसे कोई उम्मीदवार बिग बॉस के लिए तैयार हो रहा हो।”

विशाल ददलानी ने ट्विटर पर लिखा,”स्पष्ट रूप और दृढ़ता से बोलने की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली एक मिसाल कायम करने के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद। मोहम्मद जुबैर आपका स्वागत है। जय हिंद।” वानून ने लिखा,” उसको एक ट्वीट करने के 2 करोड़ मिलते थे। ददलानी तुमको कितना मिलता है?” इनके अलावा स्वरा भास्कर ने लिखा,” धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट। जिसपर लोगों ने उनकी जमकर खिंचाई की। उधर ऋचा चड्ढा ने ट्वीट किया,” जुबैर जिंदाबाद!”

अशोक पंडित ने बताया आतंकी: वहीं अशोक पंडित ने लिखा,”माई लॉर्ड जस्टिस चंद्रचूड़, मोहम्मद जुबैर कोई पत्रकार नहीं है, लेकिन वो व्हाइट कॉलर आतंकी है, जो हिंदू धर्म को गाली देता है। इसलिए उन्हें पत्रकार मानने का आपका मूल आधार गलत है।” इसपर सीए सचिन गर्ग ने लिखा, ”मैं ये सोचकर डर रहा हूं कि अब तक भारत के न्यायालय के इन न्यायधीश ने अपने करियर में कैसे निर्णय लिए होंगे। सभी के लिए पैसे मिले थे या सच में न्याय किया गया था।”

बता दें कि 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी छह मामलों को क्लब कर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।

जुबैर के पुराने ट्वीट्स की जांच के लिए जो एसआईटी का गठन किया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी भंग करते हुए तर्क दिया है कि एक पत्रकार लिखने से कैसे रोक सकते हैं। अगर वो ऐसा कुछ करता है जिससे कानून का उल्लंघन होता है, तो वो कानून के प्रति जवाबदेह है। लेकिन जब कोई नागरिक आवाज उठा रहा हो तो हम उसके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई कैसे कर सकते हैं?