बॉलीवुड सेलेब्स लगातार किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट कर रहे हैं। ऐसे में बॉलीवुड एक्टर कमाल खान (केआरके) ने भी अपने ऑफिशियल अकाउंट से किसान नेता राकेश टिकैत को लेकर ट्वीट किए। अपनी पोस्ट में कमाल आर खान (KRK) ने कहा- ‘मुझे लगता है राकेश टिकैत ने सरकार के साथ मिलकर तोड़-पानी कर लिया है और मोदी सरकार को अक्टूबर 2021 तक का समय दे दिया है। उसे पता है कि किसान जल्द ही थक जाएंगे और वापिस घर चले जाएंगे। ये तो सब जानते हैं कि हर राजनेता बिकाऊ है और टिकैत तो मशहूर हैं इस मामले में।’
इसके बाद एक्टर ने अपने अगले ट्वीट में कहा- ‘JP किसान आंदोलन भी वैसा ही आंदोलन था, जैसे की आज का किसान आंदोलन है। उस वक़्त इंदिरा गांधी ने किसानों पर ना गोलियां चलवाई थीं और ना ही आंसू गैस के गोले… ना ही किसानों को रोकने के लिए सड़कें खुदवाई गई थीं, ना ही कीलें बिछाई गई थीं। और किसानों ने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटा दिया था।’
कमाल आर खान की इस पोस्ट को देख कर लोगों ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। एक यूजर ने लिखा- ‘बेटा, उसने 2 अक्टूबर तक का समय इसलिए दिया है क्योंकि वो कहीं नहीं जा रहे हैं। अब 3 बड़े स्टेट्स में इलेक्शन भी हैं, असम, बंगाल और तमिलनाडु। वो 2 अक्टूबर तक बैठे-बैठे हर इलेक्शन के टाइम पर नौटंकी बढ़ा देगा।’ पुनीत रत्नाम नाम के एक शख्स ने कहा- बिल्कुल सही कहा सर आपने, लेकिन हर चीज की अति होती है। जर्मनी में भी हिटलर था, राष्ट्रवाद के नाम पर वहां की 90% जनता हिटलर को पूजती थी। फिर हिटलर का राष्ट्रवाद तानाशाह में बदला। उसके मरने पर 90% जनता ने जश्न मनाया था।
I think #RakeshTikait has done तोड़-पानी with government, So he has given time to govt to withdraw #FarmBills2020 till October 2021. He knows that #Farmers will get tired Soon and go back home. ये तो सभी जानते हैं, कि हर राजनेता बिकाऊ है! और टिकैत तो मशहूर है इस मामले में!
— KRK (@kamaalrkhan) February 7, 2021
एक यूजर ने सवाल किया- भाई कल तक तो तुम राकेश टिकैत का नाम जप रहे थे। प्रेम शंकर नाम के शख्स ने कहा- ये तो सबसे बड़ा नौटंकीबाज है। ऐसे लोग अपने ही बनाये गढ्ढे मे खुद गिरते हैं।
रिजवी नाम के यूजर ने लिखा, इस आन्दोलन में टिकैत अकेले नहीं है, 39 नेता और हैं।’ नरेंद्र नाम के यूजर ने केआरके से सवाल किया- क्या जेपी आंदोलन में लाल किले में तोड़फोड़ की गई थी? और खालिस्तानी झंड़ा लगाया गया था? टावर तोड़े गए थे? उमर खालिद जैसे देशद्रोही को छोड़ने की मांग की गई थी? राकेश शर्मा ने केआरके को जवाब दिया-Jp आंदोलन इमरजेंसी के खिलाफ एक जन आंदोलन था, जबकि यह किसानों के नाम पर शुद्ध राजनैतिक आंदोलन है।