इरफान खान (Irrfan Khan)  ने 29 अप्रैल, 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया। यह उनके जाने की उम्र (53) तो नहीं थी, पर बीमारी भारी पड़ी। लेकिन इरफान ने मरते दम तक जुझारू योद्धा की तरह बीमारी को टक्कर दिया। इरफान की योद्धा के रूप में पहचान कोई नई नहीं है। मुंबई में जब इरफान खान गए थे तो बड़ा संघर्ष करना पड़ा था। ज़िंदगी की गाड़ी चलती रहे, इसके लिए एसी ठीक करने की ट्रेनिंग ली। इसके बाद एसी ठीक करना शुरू किया। इरफान के करीबी दोस्त हैदर जैदी ने यह जानकारी दी।

हैदर जब उनसे मिलने इंग्लैंड गए थे तब की बात याद करते हुए बताया कि वह कभी अपने बीमार होने का एहसास नहीं होने देते थे। बक़ौल हैदर, इंग्लैंड में साथ रहे तो लगा ही नहीं कि वह बीमार था। बताता कि वहाँ जाओ, बढ़िया खाना मिलेगा, ये देखो, उनसे मिलो…इसी तरह की बातें।

इरफान का जन्म जयपुर में 7 जनवरी, 1967 को हुआ था। उनके पिता का इंतकाल पहले ही हो गया था। मां कुछ दिन पहले ही दुनिया से रुखसत हुई हैं। भाई इमरान हैं। 1984 में इरफान ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय सीखा। वह कई ऐसे किरदार निभा कर गए हैं जो उन्हें कभी मरने नहीं देंगे। उनकी आखिरी फिल्म रही अंग्रेजी मीडियम। इरफान कि मौत कोकिलाबेन अस्पताल में हुई। उनके परिवार के लोग और कुछ बहुत करीबी दोस्त अस्पताल पहुँच गए हैं। कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से बंदी है। इसलिए ज्यादा संख्या में लोग नहीं पहुँच पा रहे हैं।

इरफान खान ने केवल देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया था। इरफान खान के निधन के संबंध में जारी एक बयान में कहा गया है, ‘यह काफी दुखद है कि आज हमें उनके निधन की खबर बतानी पड़ रही है। इरफान एक मजबूत इंसान थे, जिन्होंने अंत तक लड़ाई लड़ी और अपने संपर्क में आने वाले हर शख्स को प्रेरित किया। 2018 में एक दुर्लभ किस्म का कैंसर होने के बाद उन्होंने उससे लड़ाई लड़ी और जीवन के हर मोर्चे पर उन्होंने संघर्ष किया।’