नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध कायम है। शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच हुई 8वें दौर की बातचीत बेनतीजा ख़त्म हो गई थी। इसके बाद सरकार की तरफ से बातचीत के लिए 15 जनवरी की पेशकश की गई जिसे किसानों ने मान लिया। इधर किसान लगातार यह आरोप लगाते दिख रहे हैं कि सरकार कृषि कानूनों को वापस न लेने पर अड़ी हुई है।
इसी बात को लेकर रिपब्लिक टीवी के डिबेट शो, ‘पूछता है भारत’ पर डिबेट के दौरान अर्नब गोस्वामी ने भारतीय किसान यूनियन के नेता दिगंबर सिंह से कहा कि उन्हें लिखित में क्या- क्या चाहिए। उन्होंने दिगंबर सिंह से पूछा, ‘बातचीत में क्या अड़चन आ रही है आप हमें बताइए?’ पैनलिस्ट दिगंबर सिंह ने जवाब दिया, ‘बातचीत हर समस्या का समाधान है अर्नब जी, लेकिन आप जो दिखा रहे हो कि किसान अड़ा हुआ है अपनी बात पर तो किसान नहीं अड़ा हुआ हुए है अपनी बात पर। अड़ी हुई है इस देश की सरकार कि कानून वापस नहीं लेंगे।’
वो आगे बोले, ‘अगर कानून वापस ले लिए तो हो सकता है कोई किसान इस देश का प्रधानमंत्री बन जाए। क्या डर है सरकार को? क्या जिद है कि कानून वापस नहीं लेंगे? आज किसान एमएसपी मांग रखा है, लाभकारी मूल्य नहीं मांग रहा तो क्या दिक्कत है इस सरकार को- ये बताएं- पूछता है किसान। हमें लिखित तौर पर दें।’
अर्नब गोस्वामी कहते हैं, ‘पूछता है किसान, पूछता है भारत पर। ये आप कैसे कह सकते हैं कि सरकार अड़ी हुई है जब आपको लिखित तौर पर दिया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई असर नहीं होगा, वो रहेगा। लिखित तौर पर? लिखित में क्या होता है? लिखित तौर पर अब और क्या चाहिए आपको?’
दिगंबर सिंह कहते हैं कि फिर सरकार एमएसपी पर लोकसभा में कानून पास कर दे। कानून पास करने और लिख कर देने में अंतर है।’ अर्नब गोस्वामी दूसरे पैनलिस्ट से मुखातिब होकर कहते हैं कि इनको ज़रा समझाइए कि दिक्कत क्या है। वो चिल्लाते हुए कहते हैं, ‘मैं दोबारा कहता हूं कि सरकार आपको लिखित तौर पर देने के लिए तैयार है और क्या चाहिए। मुझे समझ नहीं आ रहा दिक्कत क्या है?’
