वह पहली बार था, जब बतौर डायरेक्टर उन्हें कामयाबी ‘हासिल’ हुई थी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कभी बॉलीवुड के ‘शागिर्द’ बने तो कभी ‘साहब, बीबी और गैंगस्टर’। फिर ‘पान सिंह तोमर’ से एंटरटेनमेंट की बाधाएं ऐसे पार कीं कि मशहूर डायरेक्टरों में शुमार हो गए। बात हो रही है तिग्मांशु धूलिया की, जिन्होंने ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ में ‘रामाधीर सिंह की भूमिका निभाकर लोगों को कहना सिखा दिया कि ‘बेटा तुमसे हो न पाएगा।’ बॉलीवुड की इस खास शख्सियत का आज बर्थडे है तो बताते हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में।
पौड़ी के मूल निवासी, लेकिन प्रयागराज में हुआ जन्म: तिग्मांशु धूलिया मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी के रहने वाले हैं। हालांकि, 3 जुलाई 1967 को उनका जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में हुआ। वह पहले राइटर, फिर डायरेक्टर से प्रोड्यूसर और एक्टर के रूप में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। तिग्मांशु के पिता केसी धूलिया कानपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वकालत करते थे, जहां वह सरकारी वकील बने। 24 मई 1984 को केसी धूलिया जज बने थे, लेकिन एक साल में ही उनकी मौत हो गई। तिग्मांशु की मां सुमित्रा धूलिया इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में संस्कृत की प्रोफेसर रह चुकी हैं।
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10वीं में हो गए थे फेल: तिग्मांशु के बचपन का नाम तीषू था। उनकी शुरुआती पढ़ाई इलाहाबाद के सेंट जोसेफ कॉलेज में हुई, जहां वह हाईस्कूल में फेल हो गए थे। दोस्तों के सामने शर्मिंदा होने से बचने के लिए तिग्मांशु हाईस्कूल की दोबारा पढ़ाई करने देहरादून चले गए थे। हालांकि, वहां 10वीं पास करने के बाद दोबारा इलाहाबाद लौट आए और एंग्लोबंगाली इंटर कॉलेज से 12वीं पास की।
इस वजह से सीखी टाइपिंग: बताया जाता है कि तिग्मांशु के परिजन सोचते थे कि कम से कम वह मुंशी तो बन ही जाएं। इस वजह से उन्हें टाइपिंग सीखने के लिए भी भेजा गया था, जहां उन्होंने शॉर्टहैंड भी सीखी थी। हालांकि, कुछ समय बाद तिग्मांशु ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) ज्वॉइन कर लिया और थिएटर की दुनिया में उतर गए।
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घरवालों को नहीं पसंद था थिएटर: तिग्मांशु ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इंग्लिश, इकोनॉमिक्स और मेडुअल हिस्ट्री से बीए किया। उस दौरान उनका जुड़ाव थियेटर से हो गया और वह कैंपस में थिएटर करने लगे। हालांकि, तिग्मांशु के इस शौक से उनके घर वाले नाराज रहते थे। 1986 में बीए के बाद उनका सेलेक्शन एनएसडी दिल्ली में हो गया, जहां उन्होंने 1989 में डिग्री हासिल की।

