भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव के संघर्ष की लंबी कहानी है। गांव में गरीबी के दिनों में जब खेसारी लाल की शादी हो गई तो घर का खर्च चलाने के लिए वह दिल्ली चले आए। साथ में पत्नी चंदा यादव को भी लेते आए। खेसारी लाल ने दिल्ली के ओखला (संजय कॉलोनी) में पत्नी के साथ मिलकर रेहड़ी पर लिट्टी-चोखे की दुकान लगाई। लेकिन गरीबी भी उसी तरह चिपकी रही।

एक इंटरव्यू में उन गुरबत के दिनों को याद करते हुए खेसारी लाल ने कहा कि तब मेरे पास उतने पैसे भी नहीं होते थे कि पत्नी को एक साड़ी तक खरीद सकूं। खेसारी लाल ने कहा कि उनकी पत्नी ने एक ही साड़ी को 6 महीने तक पहन कर गुजार दिए। खेसारी आगे कहते हैं कि वह लिट्टी में सत्तू भरती थी और मैं सेंकता था। उसके साड़ी का ऐसा ही कोई हिस्सा बचा होगा जो आग से छेद न हुआ हो।

खेसारी लाल आज जिस भी मुकाम पर हैं, अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं। वे कहते हैं, मेरी पत्नी ने भी उस तकलीफ को महसूस किया है। मेरी मेहतन और मेरी लगन से ज्यादा कुर्बानी उसने दी है। उसके लिए मैं पूजा करता हूं या नहीं करता हूं लेकिन हफ्ते में मेरे लिए वह शायद 4 दिन व्रत रखती है तो मैं चाहूंगा कि हर आदमी को ऐसी ही पत्नी मिले।

गौरतलब है कि खेसारी लाल ने करीब एक साल तक लिट्टी चोखा बेचने का काम किया था। खेसारी की यहीं से गाने की शुरुआत हुई थी। लिट्टी बेचकर जुटाए पैसों से ही अपने गाने का पहला एल्बम निकाला था। हालांकि वह एल्बम फ्लॉप हो गया था। फिर काफी कठिनाइयों को पार करते हुए खेसारी ने भोजपुरी में इस मुकाम को हासिल किया। खेसारी लाल यादव ने साल 2012 में साजन चले ससुराल से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री की थी। इसके बाद से वह करीब 40 से ऊपर फिल्में कर चुके हैं। हाल ही में आई  उनकी फिल्म कुली नंबर1 ने बॉक्स ऑफिस पर काफी कमाई की है।