रवि किशन (Ravi Kishan) को भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) का अमिताभ बच्चन कहा जाता है। 250 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुके रवि किशन आज भले ही करोड़ो की संपत्ति के मालिक हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी रहा जब उनके पास खाने तक के पैसे नहीं होते थे। और फिल्मों के शुरुआती दौर वैसे भी रहे जब प्रोड्यूसर रवि किशन का मेहनताना भी नहीं देते। रवि किशन ने संघर्षभरे रास्ते से होते हुए सुपरस्टार तक का सफर तय किया।
जौनपुर के पंडित कुल में जन्में रविकिशन अपने गांव से जब माया नगरी मुंबई आए तो कहीं से कुछ आसरा नहीं था। ना रहने का ठिकाना था ना ही जीवन यापन का कुछ जरिया था। रवि किशन के पास सिर्फ 500 रुपए ही थे जो उनकी मां ने घर छोड़ते हुए उन्हें दिए थे। रवि किशन मुंबई में काम ढूंढना शुरू किया तो स्ट्रगल क्या होती है पता चला। छोटे-मोटे रोल के लिए भी काम नहीं मिल रहा था। इसके लिए भी उनको काफी रिजेक्शन झेलने पड़े।
गौरतलब है कि रवि किशन ने फिल्म ‘पितांबर’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म के लिए रवि किशन के 25 हजार रुपए मिले थे जिसमें से 15 हजार अपने गांव खेत छुड़ाने के लिए भेज दिए थे। इसके बाद रवि किशन ने काजोल के साथ फिल्म ‘उधार की जिंदगी’ की जिसके लिए उन्हें 80 हजार रुपए मिले थे। फिल्म के पेमेंट को लेकर रवि किशन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि प्रोड्यूसर ने डबिंग के बाद पैसे देने के लिए कहा था लेकिन डबिंग के बाद उसने ये कहते हुए पैसे नहीं दिए कि अगर पैसे मांगोगे तो रोल काट देंगे। बगल में बैठ हो यही बड़ी बात है। रवि किशन ने बताया था कि उस दिन वे काफी रोए थे। क्योंकि पैसे कुछ जरूरी काम के लिए घर भेजने थे।
रवि किशन हिंदी फिल्मो सहित कई सीरियल्स में भी काम किए लेकिन पहचान उनको सलमान खान की फिल्म ‘तेरे नाम’ से मिली। साल 2001 में फिर बंद हो चुके भोजपुरी इंडस्ट्री को रवि किशन ने सईयां हमार फिल्म बनाकर जिंदा किया। यह फिल्म काफी हिट हुई और भोजपुरी ने उनको इतना नाम और पैसा दिया कि वो एक सुपरस्टार का खिताब पा लिए। उनको भोजपुरी का अमिताभ बच्चन कहा जाने लगा।