उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले मनोज सिंह टाइगर में अभिनय का रुझान गांव के रामलीला से शुरू हुआ। गांव में ज्यादा कुछ नहीं कर पाने और एक्टिंग की इच्छा पूरी करने को लेकर उन्होंने साल 1997 में मुंबई की राह पकड़ ली। मुंबई आए तो कई संघर्षों के बाद हिंदी फिल्मों से लेकर भोजपुरी फिल्मों में अपने कई छोटे-मोटे किरदार किए जिससे उन्हें थोड़ी बहुत पहचान मिलने लगी। लेकिन मनोज सिंह टाइगर को असल पहचान निरहुआ की पहली फिल्म ‘निरहुआ रिक्शा वाला’ से मिली।

साल 2010 में दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने भोजपुरी की पहली फिल्म बनाई-‘निरहुआ रिक्शा वाला’। इस फिल्म में मनोज सिंह टाइगर भोजपुरी में एक कॉमेडी एक्टर के तौर भी पहचाना बनाई और इसी फिल्म से उन्हें एक नाम मिला- बतासा चाचा। चूंकि मनोज सिंह टाइगर आजमगढ़ से ताल्लुक रखते हैं लिहाजा 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने निरहुआ के लिए प्रचार का जिम्मा भी संभाला था। लेकिन निरहुआ को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

मनोज सिंह टाइगर ने इस घटना का जिक्र हाल ही में भोजपुरी एक्ट्रेस काजल राघवानी से उनके शो ‘खट्टी मीठी बातें’ में की। राजनीति में जाने से जुड़े सवाल को लेकर काजल राघवानी से मनोज सिंह टाइगर ने कहा, ‘मैं बचपन से ही RSS की शाखा से जुड़ा रहा हूं। और मैं बीजेपी में ही जाना चाहता हूं। लेकिन इस बार जब मैंने दिनेश जी के लिए प्रचार किया तो राजनीति से मेरा मोहभंग हो गया।’ मनोज सिंह टाइगर आगे बताते हैं, ‘मुझे लगता है कि मैं राजनीति करने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि सच बोलने वालों की जगह राजनीति में नहीं है। और मुझे लगता है कि मैं राजनीति में रहूंगा तो शायद में मेरी हत्या हो जाए।’ (बातचीत में ये हिस्सा 12 मिनट पर आता है)

गौरतलब है कि मनोज सिंह टाइगर ना सिर्फ एक अच्छे अभिनेता हैं बल्कि एक अच्छे स्क्रिप्ट राइटर और नाटककार भी हैं। 14 साल के भोजपुरी सिनेमा के करियर में मनोज सिंह को 20 से अधिक बार कॉमेडियन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिल चुका है। उनकी लेखनी के लिए साल 2018 में सर्वश्रेष्ठ स्टोरी राइटर का अवॉर्ड भी हासिल हुआ।

मनोज सिंह फिलहाल लॉकडाउन के कारण अपने आजमगढ़ के अपने घर में समय बिता रहे हैं। वहीं उनका परिवार मुंबई में ही है।