भोजपुरी सिनेमा के ट्रेंडिंग स्टार खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपने करियर में ढेरों फिल्मों और गानों में काम किया है। फैंस उनकी एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से मुंबई और बिहार चले जाते हैं। यूपी और बिहार में खेसारी की तगड़ी फैन फॉलोइंग है। लेकिन, फिल्मों में आने से पहले एक्टर ने बेहद गरीबी में दिन काटे हैं। उन्होंने हाल ही में अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया है और बताया कि 6 साल की उम्र से काम कर रहे हैं। चलिए बताते हैं एक्टर ने क्या कुछ कहा है।
दरअसल, खेसारी लाल यादव ने हाल ही में शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट में शिरकत की थी। इसमें उन्होंने अपने निजी जिंदगी से लेकर घर-परिवार, स्ट्रगल को लेकर बात की है। भोजपुरी एक्टर ने बताया कि उनका बचपन बेहद ही गरीबी में बीता है। वो चाचा-ताऊ के बच्चे मिलाकर सात भाई थे। चाची के निधन हो जाने की वजह से उनके बच्चों का ख्याल भी उनके माता-पिता ने ही रखा था। गरीबी का आलम इस कदर था कि सातों भाई एक ही पैंट पहना करते थे। वो जब बड़े भाई को छोटी हो जाती थी तो छोटा भाई उसे पहनता था। खेसारी कहते हैं कि उन दिनों भले ही गरीबी थी लेकिन सुकून था और अपनों से दूरियां नहीं थीं।
5 रुपए बचाने के लिए बस की छत पर किया सफर
संघर्ष के दिनों को याद करते हुए खेसारी ने एक किस्सा भी सुनाया और बताया कि वो जब भी स्टेज शो करते हैं तो जब कोई 10 रुपए भी देता है तो उसे छोड़ते नहीं हैं। एक्टर कहते हैं कि वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वो 10 रुपए की अहमियत को समझते हैं। एक किस्से का जिक्र करते हुए खेसारी कहते हैं, ‘मुझे उस 10 रुपए की कीमत पता है। मुझे याद है कि एक बार मैं मोतिहारी में फुटपाथ पर सोया था और 5 रुपए बचाने के लिए मई के महीने में बस की छत पर सफर किया था।’
जब 9 किमी भूखे पेट पैदल चले खेसारी
इतना ही नहीं, खेसारी लाल ने आगे बताया, ‘बिना खाए मैं 9 किमी उसी गर्मी में फिर 5 रुपए बचाने के लिए भूखे पेट चला था। उसी 5 रुपए से मैंने लिट्टी खाई। 9 किमी मैं पैदल स्टेशन गया था। फिर 10 रुपए पाने के लिए मैं स्टेशन से बुआ को प्रणाम करने के लिए उनके यहां गया कि अगर वहां जाऊंगा तो वो मुझे 10 रुपए देंगी। मुझे उस 10 रुपए की क्षमता और ताकत दोनों पता है। मुझे पता है कि उस 10 रुपए की औकात क्या है।’
