भोजपुरी के सुपरस्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने अपने अभिनय और गायकी के दम पर भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। एक गायक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले दिनेश लाल को लोग निरहुआ के नाम से ही ज़्यादा जानते हैं। उनकी निरहुआ सीरीज की फिल्मों ने रिकॉर्ड तोड सफलता पाई है। दिनेश लाल का बचपन कलकत्ता में बीता है। वो अपने भाई और पिता के साथ वहीं रहते थे। उन्होंने एक यूट्यूब चैनल ‘नी एंटरटेनमेंट’ से बातचीत में कुछ दिनों पहले अपने बचपन से जुड़ा एक रोचक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने आजतक कभी उन्हें मारा नहीं लेकिन वो उनसे बहुत डरते थे।
दिनेश लाल ने अपनी बचपन से जुड़ी एक दिलचस्प घटना का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया, ‘पिताजी ने कभी मारा नहीं मुझे, लेकिन डर बहुत लगता था उनसे। होता ये था कि सुबह 7 बजे पिता जी को ड्यूटी जाना होता था। वो खाना बनाते थे और दाल चढ़ाकर, सबकुछ उसमें डालकर वो बोलते थे कि ये पक जाएगी तो उतार देना। हम लोग बोलते थे ठीक है। और जिस दिन ऐसा होता था कि हम पिता जी से छुपकर रात भर फिल्में देखते थे, हां तो बोल देते थे लेकिन उसके बाद पता चलता था कि सो गए और वो दाल पूरी तरह जल गई, राख हो गई। हमारी नींद खुली नहीं और हम स्कूल भी नहीं गए।’
दिनेश लाल ने आगे बताया, ‘11 बजे तक पिताजी आते थे, वापस ड्यूटी से तो देखते थे कि ये लोग सोए हैं और इधर डाल जलकर राख हो चुकी है। तब वो हमें उठाते और बोलते थे ‘रात भर तो मीना कुमारी के यहां थे,अब दाल तो जल गई, खाऊं क्या?’ उसके बाद हम लोग उठकर डर के मारे भागते थे।’
दिनेश लाल ने बताया कि उस वक्त उनके घर पर लकड़ी और कोयले से मिट्टी के चूल्हे पर खाना बना करता था। उन्होंने बताया, ‘वो बात भी सीखने जैसी थी। चूल्हे में सबसे नीचे हम जूट डालते थे जिसमें केरोसिन मिला होता था। फिर उसके ऊपर लकड़ी सजाते थे और तब उसके ऊपर कोयला रखते। नीचे से जब आग लगाई जाती तो पहले जूट जलता था फिर लकड़ी और कोयला। और वो कोयला जितनी देर तक लाल रहता था, उसी में खाना बना लेना होता था।’