‘भारत बंद’ को लेकर फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने कुछ ट्वीट किए हैं जिसमें वह कहते हैं कि दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है और यहां रेल रोको और पत्थरावबाजी ही चल रही है। बॉलीवुड डायरेक्टर के इस पोस्ट पर लोगों ने भी रिएक्शन देने शुरू कर दिए। ज्ञात हो, देश में किसानों का आंदोलन चल रहा है। आज 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया हुआ है।

इसको लेकर विवेक अग्निहोत्री ने अपने पोस्ट में कहा है- ‘दुनिया कहां से कहां से कहां पहुंच चुकी है पर #UrbanNaxals अभी भी बंध, रेल रोको, विकास रोको, पथरावबाज़ी जैसे कोल्ड वार के जमाने के पॉलिटिकल टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं कि वो नहीं जानते, वो जानबूझकर करते हैं ऐसा। देश आगे बढ़ना चाहता है और वो उसे पिछड़ेपन से मारना चाहते हैं।’

विवेक अग्निहोत्री ने आगे कहा- ‘ये एक सोची समझी स्ट्रैटेजी है। उनका एकमात्र objective है कि progress और reforms नहीं होने चाहिए। उसे रोकने के लिए कोर्ट में PIL, मीडिया में झूठे लेख, युवकों और अपढ़ को भड़काना, सड़क पे धरना, उत्पात और chaos। सरकार की सारी ताक़त इसे सुलझाने में लगाओ, देश अपने आप पिछड़ जाएगा।’

अगले पोस्ट में विवेक ने कहा- ‘आप खुद सोचिए साल में ३६५ दिन में से लगभग २५० दिन देश किसी ना किसी उलूल-जुलूल protest में उलझा रहता है। productivity और efficiency का कितना नुक़सान होता है उसपे कभी कोई बुद्धिजीवी बातचीत ही नहीं करता। पर जब economy ड़ावाडोल होती है तो सबसे पहले वो ही आगे आते हैं बुराई करने। ‘

विवेक ने कहा- ‘स्वयं से एक सवाल पूछिए- इस कठिन वक़्त में देश के लिए क्या बेहतर है – प्रगति या देश बंध। कई लोग कहेंगे dissent का क्या? खुद सोचिए इस digital जमाने में क्या सड़कें जाम करना ही एकमात्र dissent का तरीक़ा है? चलाइए डिजिटल मुहिम। कराइए १०-२० करोड़ digital signatures, कोशिश तो करिए।’

विवेक अग्निहोत्री के इन पोस्ट पर एक यूजर ने कहा- ‘आज के समय में जब देश बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे बंद का समर्थन नहीं किया जा सकता ऐसा विरोध किस काम का जो देश को नुकसान पहुंचाए। बात इकनॉमी की आएगी। तो सबसे पहले ये कूदेंगे, काम धाम छोड़कर यही सब नाटक करवा लो, देश आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना होगा।’

ऐसे में एक यूजर ने लिखा- ‘दुनिया के नागरिक भी बहुत आगे बढ़ गया हैं। तुम्हारे जैसे गुलाम भारत में जब तक रहेगा ना, तब तक यही हाल रहेगा।’ तो कोई बोला- ‘इतिहास में पहली बार बंद बुलाया गया है? इसे सपोर्ट करो।

एक यूजर बोला- ‘पंजाबी लोगों की मानसिकता भ्रष्ट हो गई है, जो खालिस्तान का समर्थन करते। लेकिन विदेशों में रहने वाले लोगों की ये आखिरी पीढ़ी ही बची है। क्योंकि उनकी खुद की औलादें तो विदेशी कल्चर में लिप्त है, तो उनको कोई मतलब नहीं पंजाब से। क्योंकि उनकी पैदाइश ही वहां की है।’

एक यूजर बोल पड़ा- ‘जिन्हें आप अर्बन नक्सल कहते हैं, दरअसल वह चर्च के चमगादर हैं। इन्हें अंग्रेज़ हमेशा से रिमोट कंट्रोल करते रहे हैं और आज भी वही हो रहा है। नक्सलवाद तो महज़ आवरण है।’