‘Bhabhi Ji Ghar par Hain’ धारावाहिक के टीका और मलखान की जोड़ी ने सबका दिल जीता है। दोनों की शरारतें और उनको पड़ने वाली मार सभी दर्शकों को खूब हंसाती हैं। इस जोड़ी के मलखान यानि दीपेश भान एक मंझे हुए कलाकार हैं। उन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक था और वो स्कूल में होने वाले नाटकों में हिस्सा लिया करते थे। उनके पिता चाहते थे कि वो अच्छे से पढ़ाई करें लेकिन उनका मन क्रिकेट और डांस में लगता था।

पढ़ाई में थे फिसड्डी- दीपेश भान ने हाल ही में एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनका मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था। उन्होंने बताया, ‘मैं वो बच्चा था जो बस इतना पढ़ लेता है जितने में वो फेल न हो। मैं भी हर बार बस पास हो जाता था। जब दसवीं कक्षा में आया तब पापा को बड़ी उम्मीद थी कि बच्चा बहुत पढ़ेगा। मेरे 50 प्रतिशत के करीब मार्क्स आए तो पापा समझ गए कि ये कलाकार टाइप है।’

डांस, क्रिकेट और थियेटर का था जुनून- दीपेश को क्रिकेट और डांस से बहुत लगाव था। उन्होंने कहा, ‘मैं क्रिकेट खेलता था और डांस भी करता था। मैं श्यामक डावर डांस क्लास में हिस्सा लेता था। लेकिन मुझ में जो एक्टिंग का कीड़ा था वो जन्मजात ही था। मेरे हिसाब से आर्टिस्ट पैदा ही होते हैं, जबरदस्ती आप किसी को कलाकार नहीं बना सकते।’

 मिथून और आमिर की फिल्मों से हुए थे इंस्पायर- दीपेश का कहना है कि वो मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म ‘अग्निपथ’ और आमिर खान की फिल्म, ‘रंगीला’ में दोनों के किरदारों से बहुत प्रभावित हुए और उनकी मिमिक्री किया करते थे। दीपेश बताते हैं, ‘जब मैं छोटा था तब मैंने मिथुन की एक फिल्म अग्निपथ देखी जिसमें वो एक मद्रासी किरदार को निभा रहे थे। मैं उससे बहुत इंस्पायर हुआ, मैं उसी तरीके से सबसे बात करता और उसके लिए मेरी मां मेरी पिटाई भी कर देती थीं।’ उन्होंने आगे बताया, ‘जब मैं बड़ा हुआ 10 वीं में पहुंचा तब रंगीला फिल्म आई थी। उस वक़्त मुझ पर आमिर खान का भूत चढ़ गया और मैं भी टपोरी अंदाज में बात करने लगा था।’

 मुंबई में झेलनी पड़ी दिक्कतें- दीपेश ने बताया कि वो एक साथ कई चीजें कर रहे थे जैसे डांस, थियेटर, क्रिकेट लेकिन उन्हें एक समय पर किसी एक को चुनना पड़ गया तो उन्होंने एक्टिंग को चुना और 2005 में मुंबई आ गए। उन्होने बताया, ‘ यहां आने से पहले आपको लगता है कि आप जाओगे, बस एक ऑडिशन दोगे और उसके बाद आपकी फिल्म लगेगी। लोग आपकी पोस्टर्स देखकर ही आपको पहचान जाएंगे। लेकिन जब आप मुंबई आते हैं तो 6 महीने में ही आपके तोते उड़ जाते हैं, वास्तविकता जानकर। यह इतना आसान नहीं है जितना सोचा था। बहुत लोग टूट जाते हैं लेकिन मैंने हिम्मत बनाए रखी और लड़ता रहा। यह शहर ऐसा है जो आपको हिला कर रख देगा, मंहगा इतना है कि आपके पैर के नीचे से ज़मीन निकल जाएगी आपको पता नहीं चल पाएगा।’