भारत रत्न से सम्मानित और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से पूरा देश शोक में है। देश के प्रधानमंत्री पद को तीन बार संभालने वाले अटल बिहारी वाजपेयी अपने विरोधियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय थे। 93 साल की उम्र में गुज़रने वाले अटल जी मौलिक प्रतिभा के धनी थे और राजनेता होने के साथ ही साथ उन्होंने एक कवि के रूप में भी समाज में अपना आर्टिस्टिक योगदान दिया। आज से अठारह साल पहले उन्हें अपनी कविताओं के एक एल्बम के लिए स्क्रीन अवार्ड्स भी मिला था।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2000 में अपनी एल्बम नई दिशा के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का स्क्रीन अवार्ड जीता था। गौरतलब है कि ये एल्बम 1999 में रिलीज़ हुआ था और इस एल्बम के गानों को गज़ल सम्राट जगजीत सिंह ने गाया था। इस एल्बम में अटल जी की लोकप्रिय कविता ‘आओ फिर से दिया जलाएं’ भी शामिल है।

साल 2000 के शुरूआत में इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की अनन्या गोएनका ने तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बेस्ट नॉन फिल्म लिरिक्स के अवार्ड से सम्मानित किया था। दरअसल अटल उस दौरान व्यस्त होने के चलते स्क्रीन अवार्ड्स में शामिल नहीं हो पाए थे, इसलिए उन्हें ये अवार्ड उनके निवास स्थल जाकर दिया गया था।

आओ फिर से दिया जलाए के लिरिक्स कुछ इस प्रकार हैं –

भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरमन का नेह निचुड़े
बुझी हुई बाती सुलगाएं
आओ फिर से दिया जलाएं,
आओ फिर से दिया जलाएं।

हम पड़ाव को समझे मंजिल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में
आने वाला कल न भुलाए
आहुति बाकि यज्ञ पूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
आओ फिर से दिया जलाएं

मॉर्डन दौर में त्योहारों के प्रति बेरूखी को इस गाने के ज़रिए जाहिर करने की कोशिश की गई है और इस गाने के माध्यम से दीपावली और क्रिसमस जैसे त्योहारों को एक बार फिर अपनाने के बारे में बात की गई है।

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