टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रच दिया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर हर तरफ नीरज चोपड़ा छाए हुए हैं। ऐसे में एक्ट्रेस गुल पनाग ने अपने एक पोस्ट पर नीरज चोपड़ा समेत और खिलाड़ियों का नाम लेते हुए कहा कि ये सभी किसान के बच्चे हैं। तो किसानों का दर्द भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इस पोस्ट को शेयर करते हुए अशोक पंडित ने भी एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने ‘किसान आंदोल’ पर तंज कसा।
अशोक पंडित ने अपने ट्वीट में गुल पनाग को जवाब देते हुए कहा- ‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि जिन किसानों के बच्चों ने मेडल जीते हैं, उनमें से कोई भी किसान सरहद पर विरोध नहीं कर रहा है। वे जानते हैं कि ये विरोध एक बड़ा तमाशा है और इन्हें राष्ट्रविरोधी ताकतों का समर्थन प्राप्त है।’
अशोक पंडित ने एक और पोस्ट की जिसमें उन्होंने कहा- ‘खालिस्तानी ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज के बीच अंतर का विश्लेषण करना भी महत्वपूर्ण है। खैर, जब देश भारत की जीत का जश्न मना रहा है तो ऐसे में अर्बन नक्सलियों और खालिस्तानियों वाले एजेंडे पर बात ही न की जाए तो बेहतर।’
I can assure you that none of the farmers whose kids won medals are protesting on the borders. They know that these protests are a big farce & are backed by antinational forces. https://t.co/7wlETYlWCG
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) August 8, 2021
बता दें, एक्ट्रेस गुल पनाग ने अपने ट्वीट में कहा था- ‘नीरज चोपड़ा एक किसान के बेटे हैं। हॉकी की सिंह तिकड़ी, दिलप्रीत, गुरजंत और हार्दिक – सभी हमारे किसानों के बेटे हैं, और बजरंग पुनिया भी। जब हम इन पदकों का जश्न मनाते हैं, तो हमें अपने किसानों के दर्द को नहीं भूलना चाहिए जो दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
अशोक पंडित और गुल पनाग के पोस्ट को देख कर ढेरों लोग भी कमेंट करने लगे। द पोल लेडी नाम से एक अकाउंट यूजर का गुल पनाग के लिए कमेंट आया- ‘दिल्ली की सीमाओं पर बैठे लोग किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। किसानों का विरोध राजनीति से प्रेरित विरोध है और आपका ट्वीट भी ऐसा ही है।’
कविता नाम की यूजर बोलीं- ‘मुझे आश्चर्य है कि गुल जैसा एक इंटेलिजेंट पर्सनालिटी अपनी सोच में इतना विकृत कैसे हो सकती हैं। केवल सरकार के कामकाज को बाधित करने की इच्छा के कारण।’ मिस्टर सिन्हा नाम के यूजर बोले- पहले नीरज से तो पूछ लो कि उन्हें किसान आंदोलन से दिक्कत है या नहीं?