Happy Birthday Aruna Irani: बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री अरुणा ईरानी (Aruna Irani) ने करीब आज ऐशो-आराम की जिंदगी जी रही हैं। लेकिन, एक ऐसा समय था जब उनके घर में खाने के लाले थे। आर्थिक तंगी के समय वो और उनके परिवार वाले प्याज और चावल खाकर दिन गुजारते थे। उन्होंने 9 साल की उम्र में परिवार की आर्थिक स्थिति को देखा है और फिर छोटी उम्र में ही फिल्मी दुनिया में कदम रखा। हालांकि, बड़े पर्दे पर उन्हें सफलता भी हासिल हुई। वो छोटे पर्दे पर भी एक्टिंग का लोहा मनवा चुकी हैं। तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए अरुणा ने हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ऐसे में उनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि उन्हें स्टॉल पर खाना खाने के दौरान उनकी पहली फिल्म मिल गई थी। वो भी दिलीप कुमार ने दी थी। चलिए बताते हैं अरुणा ईरानी के उस किस्से के बारे में।
दरअसल, अरुणा ईरानी का आज जन्मदिन है। वो 18 अगस्त, 1946 को 78 साल की हो गई हैं। उन्होंने फिल्मों में 9 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद उन्हें धीरे-धीरे सफलता मिली और वो अपने जमाने की स्टार एक्ट्रेस बन गईं। उनके पिता फरीदुन ईरानी नाटक मंडली में काम किया करते थे और मां शगुणा एक एक्ट्रेस थीं। अरुणा 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और वो डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने साल 1961 में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्म ‘गंगा जमुना’ से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट डेब्यू किया था। उन्होंने फिल्मों के साथ ही टीवी में भी बेहतरीन काम किया है, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है।
दिलचस्प है फिल्मों में एंट्री का किस्सा
अरुणा ईरानी आज भले ही पहचान की मोहताज नहीं हैं लेकिन, काफी स्ट्रगल और आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने 9 साल की उम्र में करियर शुरू किया। फिल्मों में करियर शुरू करने को इत्तेफाक ही कह सकते हैं। क्योंकि 60 के दशक में फिल्मों के ऑडिशन के लिए एजेंट ही बच्चों को ले जाया करते थे। ऐसे में एक दिन एक एजंट आया और सभी बच्चों को एक फिल्म के ऑडिशन के लिए ले गया। इस ग्रुप में अरुणा भी शामिल थीं। अब जब वहां गईं तो वो ये ऑडिशन सोचकर नहीं गईं। उन्होंने सोचा कि उनको फिल्म में कौन लेगा लेकिन अगर गईं तो अच्छा खाना जरूर मिलेगा। ऐसे में खाने की चाहत में चली गईं और वहां जाने के बाद उन्होंने वैसा है किया। ऑडिशन देने की बजाय खाने-पीने में लग गईं। उसी समय दिलीप कुमार की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने जोर से आवाज लगाई ‘ऐ लड़की, तुम यहां आओ और पूछा, क्या तुम फिल्मों में काम करोगी?’
इसके बाद क्या था नेकी और पूछ-पूछ वाली बात हो गई। दिलीप कुमार ने उन्हें अपनी फिल्म ‘गंगा जमुना’ में एक रोल ऑफर किया। अब यहीं से अरुणा ईरानी का फिल्मी करियर शुरू हो गया। ये बातें अरुणा ने खुद ANI से बातचीत में बताई थी। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट डेब्यू के बाद अरुणा ने फिल्म ‘अनपढ़’ (1962), ‘जहांआरा’ (1964), ‘फर्ज’ (1967), ‘उपकार’ (1967) और ‘आया सावन झूम के’ (1969) जैसी फिल्मों में काम किया।
‘बॉम्बे टू गोवा’ से अरुणा ईरानी ने किया बतौर लीड एक्ट्रेस डेब्यू
गौरतलब है कि अरुणा ईरनी ने डेब्यू के बाद लगातार फिल्में की और उनके काम की वजह से उन्हें अच्छी खासी पहचान भी मिल रही थी। लेकिन, बतौर लीड काम नहीं मिल रहा था। ऐसे में अब हर किसी की ख्वाहिश होती है कि उसे लीड एक्ट्रेस का काम मिले। मगर अरुणा को ज्यादातर साइड रोल मिल रहा था। हालांकि, वो समय भी जल्द आ गया जब अभिनेत्री ने बतौर लीड एक्ट्रेस डेब्यू किया। उनकी पहली फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ थी, जिसके जरिए वो बतौर लीड दिखीं। इसमें वो अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए दिखीं। इस फिल्म का निर्देशन महमूद ने किया था।
ANI से बातचीत में अरुणा ईरानी ने अपने लीड रोल को लेकर बताया था कि हर कलाकार का सपना होता है कि वह लीड रोल निभाए और उनका भी एक ख्वाब था। एक्ट्रेस ने कहा था कि भले ही यह फिल्म छोटी थी, लेकिन उन्हें अच्छी फीस मिल रही थी तो उनका मानना था कि उनके लिए काम भी ठीक था। इसलिए उन्होंने इस फिल्म को हां कर दियया। इसी फिल्म के साथ ही उन्होंने ‘कारवां’ भी की थी। 2 घंटे 11 मिनट की इस साउथ थ्रिलर मूवी में शुरू होते ही मिलेगा सस्पेंस, सीट से हिलने नहीं देगा क्लाइमेक्स, इस ओटीटी पर है मौजूद