डायरेक्टर/एक्टर अनुराग कश्यप बेबाकी से हर मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं। उन्होंने अनंत महादेवन की जीवनी पर बनी फिल्म ‘फुले’ पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची और इसकी रिलीज डेट को टालने पर नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद अब उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है, जिसके कारण वो चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने ब्राह्मण समाज पर भद्दा कमेंट किया है, जिसके लिए उनकी निंदा हो रही है।

दरअसल अनुराग कश्यप ने फिल्म के खिलाफ हो रहे विवाद पर अपनी राय रखते हुए इंस्टाग्राम पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा था। जिसमें उन्होंने देश में जातिवाद को लेकर एक बड़ा सवाल किया था। साथ ही महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समूहों द्वारा नाराजगी के कारण प्रतीक गांधी स्टारर ‘फुले’ की रिलीज में देरी पर अपनी निराशा जताई थी।

क्या है अनुराग कश्यप का पोस्ट?

अनुराग कश्यप ने अपनी पोस्ट में लिखा, “‘धड़क 2 की स्क्रीनिंग में सेंसर बोर्ड ने बोला, मोदी जी ने इंडिया में कास्ट सिस्टम खत्म कर दिया है। उसी आधार पर ‘संतोष’ भी भारत में रिलीज नहीं हुई। अब ब्राह्मण को समस्या है फुले से। भैया, जब कास्ट सिस्टम ही नहीं है, तो काहे का ब्राह्मण। कौन हो आप। आपकी क्यों सुलग रही हैं, जब कास्ट सिस्टम था नहीं, तो ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई क्यों थीं। या तो आप का ब्रह्मवाद अस्तित्व में ही नहीं है, क्योंकि मोदी जिनके हिसाब से इंडिया में कास्ट सिस्टम ही नहीं है? या सब लोग मिलके सबको बेवकूफ बना रहे हो। भाई, मिलके फैसला कर लो। भारत में जातिवाद है या नहीं। लोग बेवकूफ नहीं हैं.. आप ब्राह्मण लोग हो या फिर आप के बाप हैं जो ऊपर बैठे हैं, फैसला लो।”

इस पोस्ट में अनुराग की भाषा को देख तमाम यूजर्स ने उन्हें खरी खोटी सुनाई। एक यूजर ने लिखा कि ब्राह्मण तुम्हारे बाप हैं। जिसके जवाब में अनुराग कश्यप ने ब्राह्मणों पर पेशाब करने की बात लिखी। उनका ये कमेंट लोगों को पसंद नहीं आ रहा है और इसका स्क्रीनशॉट तेजी से वायरल हो रहा है।

इससे पहले उन्होंने पीएम मोदी का जिक्र करते हुए भी पोस्ट लिखा था। जो था, “मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले पर था। भाई अगर जातिवाद नहीं होता इस देश में तो उनको क्या जरूरत थी लड़ने की। अब ये ब्राह्मण लोगों को शर्म आ रही है या वो शर्म में मरे जा रहे हैं या फिर एक अलग (वैकल्पिक) ब्राह्मण भारत में जी रहे हैं जो हम देख रहे हैं, जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं। कृपया कोई समझाए- यहां असली मूर्ख कौन है?मेरा सवाल ये है कि जब फिल्म सेंसरशिप के लिए जाती है तो बोर्ड में चार सदस्य होते हैं। आखिर समूहों और विंग्स को फिल्मों तक पहुंच कैसे मिलती है, जब तक कि उन्हें इसकी अनुमति न दी जाए? पूरी बकवास प्रणाली ही धांधली वाली है।”

अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “पंजाब 95′, ‘तीस’, ‘धड़क 2’, ‘फुले’… मुझे नहीं पता कि जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने वाली कितनी फिल्मों को ब्लॉक कर दिया गया। उन्हें अपना चेहरा आईने में देखने में शर्म आती है। उन्हें शर्म आती है कि वे खुलकर ये भी नहीं बता सकते कि फिल्म में ऐसा क्या है, जो उन्हें परेशान कर रहा है, डरपोक।” पूरी खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…